इस वजह से भगवान शिव ने धारण किया था अर्धनारीश्वर स्वरुप
इस वजह से भगवान शिव ने धारण किया था अर्धनारीश्वर स्वरुप
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आप सभी को बता दें कि हिन्दू शास्त्रों और पुराणों में भगवान शिव के अवतारों और रुपों के बारे में बताया गया है जो भक्तों को कोई ना कोई ज्ञान देता है. ऐसे में आज हम आपको भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरुप के बारे में बताएंगे. जी हाँ, आज हम आपको बताएंगे कि कैसे भगवान शिव को धारण करना पड़ा था ये स्वरुप.

भगवान शिव का अर्धनारीश्वर स्वरुप- पौराणिक कथा के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया तो मानव, जीव-जंतुओं को उत्पन्न तो कर दिया लेकिन सृष्टि का विकास नहीं हो पा रहा था और इसी वजह से ब्रह्मा जी काफी चिंतित हो गए और वे सृष्टि के पालनकर्ता श्री हरी विष्णु जी के पास पहुंचे. विष्णु जी ने ब्रह्मा जी को भगवान शिव की स्तुति करने को कहा. ब्रह्मा जी की स्तुति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उनकी इच्छा जानी और जब ब्रह्माजी ने बताया कि वे सृष्टि के विकास को लेकर चिंतित हैं तो शिव ने अर्धनारिश्चर स्वरूप धारण कर ब्रह्माजी को समझाया कि सृष्टि के विकास के लिए नर और मादा दोनों का होना आवश्यक है.

बिना स्त्री और पुरूष के सृष्टि का विकास संभव नहीं है और दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं. इस प्रकार भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप ने सृष्टि को स्त्री-पुरूष समानता का संदेश दिया, ये स्वरूप बताता है कि स्त्री और पुरूष दोनों का सृष्टि के चक्र को चलाने में समान हाथ है.

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