गुड फ्राइडे के मौके पर हम आपको ईसा मसीह से जुड़े कुछ ऐसे सवालों के जवाब देने जा रहे है जो अक्सर चर्चा का विषय बन जाते है. भारत में हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्म के लोग रहते है. लेकिन कई बार ईसाई धर्म के प्रभु ईसा मसीह के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाए जाते है. क्या ईसा मसीह ईश्वर हैं ? क्या ईसा मसीह ने कभी भी ईश्वर होने का दावा किया है? तो चलिए ईसा मसीह के जीवन से मिलने वाले प्रमाणों के आधार पर जानते है ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब...
कुछ इतिहास के पन्नों और जानकारियों को खंगालने के बाद जो पता चलता है वो ये कि, आज से 2000 साल पहले पैलेस्टाइन के एक अव्यस्त गाँव के अस्तबल में, एक बच्चे का जन्म हुआ. इस बालक ने बड़े होकर लोगों को अधिकारी के रूप में आदेश देना शुरू किया और लोगों ने ख़ुशी से उसका सन्देश सुना और माना भी. पूरा संसार आज भी एक शुभ कारण के लिए ईसा मसीह का जन्मदिन धूम-धाम से मनाता है.
कहते है ईसा मसीह ने अपने आप को विलक्षण शिक्षक और पैगंबर से ज्यादा महान बताया. उसने साफ शब्दों में खुद को ईश्वर घोषित कर दिया. ईसा ने अपने अनुयाइयों से कहा कि " लेकिन तुम मुझे क्या कहते हो? तब शमौन पतरस ने उत्तर दिया, कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है. ये सुनने के बाद ईसा को कोई हैरानी नहीं हुई. उन्होंने पतरस को डांटने के बाद उसे आदेश दिए."
ईसा मसीह जब 'मेरे पिता' बोलकर सम्बोधित करते तो सुनने वाले मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते. बताया जाता है कि यहीं कारण था कि यहूदी उन्हें मारने का पुरजोर प्रयत्न करने लगे थे. ईसा मसीह ईश्वर को अपना पिता बताकर खुद उनके बराबर बैठते थे. एक अवसर पर ईसा मसीह ने कहा कि मैं और मेरे पिता एक है. इसपर यहूदियों ने उन्हें पत्थर मरना चाहा था.
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