Jul 07 2016 11:19 AM
नई दिल्ली : मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने आशंका जताई है कि भारत की वृद्धि दर को आने वाले समय में वैश्विक मांग में नरमी ,ऊंचा कारपोरेट ऋण और ऋण आपूर्ति में नरमी से चुनौती मिलेगी. भूमि अधिग्रहण बिल और जीएसटी विधेयक अटके हुए होने तथा राजनीतिक टकराव के कारण सुधार प्रक्रिया असमान और धीमी रहेगी.
मूडीज की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक माहौल में अनिश्चितता के बीच घरेलू राजनीतिक घटनाक्रम से बाजार का रुझान उतार- चढ़ाव भरा रह सकता है.वैसे एजेंसी उम्मीद कर रही है कि भारत के लक्षित नीतिगत सुधार के धीमे कार्यान्वयन , कारोबार में सुधार , बुनियादी ढांचे की स्तिथि और उत्पादकता वृद्धि से समर्थन मिलेगा.
मूडीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रबंधक मारी दिरों ने कहा कि कुछ बड़ी कम्पनियों के बड़े ऋण से वृद्धि बुरीतरह प्रभावित होगी जिसका ऋण मांग पर असर पड़ेगा.बैंकों का एनपीए ऋण आपूर्ति को प्रभावित करेगा.
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