आज से शुरू करें श्री चण्डी पाठ, मिलेगा ऐसा फायदा कि रह जाएंगे दंग
आज से शुरू करें श्री चण्डी पाठ, मिलेगा ऐसा फायदा कि रह जाएंगे दंग
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नवरात्र में हर रोज करें चंडीपाठ, फिर देखें चमत्कार और फायदा आप सभी जानते ही हैं कि इस समय शारदीय नवरात्र चल रहे हैं और इस दौरान माँ के नौ रूपों का पूजन किया जाता है. ऐसे में नवरात्र पर शक्ति के संचयन हेतु मार्कण्डेय पुराण के सात सौ श्लोकों का सस्वर पठन किया जाता है, जिसे देवी पाठ या चंडी पाठ कहते हैं. ऐसे में चंडीपाठ करने से सभी दुःख नष्ट हो जाते हैं और महालाभ होता है. आज हम आपके लिए चंडी पाठ लेकर आए हैं जो आपको नवरात्रि के हर दिन करना चाहिए.

 

|| श्री चण्डी पाठ ||
॥ श्रीचण्डीपाठः ॥

॥ ॐ श्री देवैः नमः ॥

॥ अथ चंडीपाठः ॥

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता ।

नमस्तस्यै १४ नमस्तस्यै १५ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-१६॥

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते ।

नमस्तस्यै १७ नमस्तस्यै १८ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-१९॥

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै २० नमस्तस्यै २१ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-२२॥

या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै २३ नमस्तस्यै २४ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-२५॥

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै २६ नमस्तस्यै २७ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-२८॥

या देवी सर्वभूतेषु च्छायारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै २९ नमस्तस्यै ३० नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-३१॥


या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ३२ नमस्तस्यै ३३ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-३४॥

या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ३५ नमस्तस्यै ३६ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-३७॥

या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ३८ नमस्तस्यै ३९ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-४०॥

या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ४१ नमस्तस्यै ४२ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-४३॥

या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ४४ नमस्तस्यै ४५ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-४६॥

या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ४७ नमस्तस्यै ४८ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-४९॥

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ५० नमस्तस्यै ५१ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-५२॥

या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ५३ नमस्तस्यै ५४ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-५५॥

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ५६ नमस्तस्यै ५७ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-५८॥

या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ५९ नमस्तस्यै ६० नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-६१॥

या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ६२ नमस्तस्यै ६३ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-६४॥


या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ६५ नमस्तस्यै ६६ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-६७॥

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ६८ नमस्तस्यै ६९ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-७०॥

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ७१ नमस्तस्यै ७२ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-७३॥

या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै ७४ नमस्तस्यै ७५ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-७६॥

इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भुतानाञ्चाखिलेषु या ।

भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नमः ॥ ५-७७॥

चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद् व्याप्य स्थिता जगत् ।

नमस्तस्यै ७८ नमस्तस्यै ७९ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-८०॥

॥ इति चंडीपाठः ॥

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