सीवान में फिल्मी सुपरस्टार की तरह हुआ शहाबुद्दीन का स्वागत
सीवान में फिल्मी सुपरस्टार की तरह हुआ शहाबुद्दीन का स्वागत
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नई दिल्ली - बिहार के चर्चित तेज़ाब कांड में मामले में ज़मानत पर रिहा होकर भारी भरकम लाव लश्कर के साथ भागलपुर से सुबह रवाना होकर देर शाम सीवान पहुंचे मोहम्मद शहाबुद्दीन का स्वागत किसी फिल्मी सुपरस्टार की तरह हुआ. सैंकड़ों समर्थक मोबाइल से फोटो लेने के लिए बेचैन दिखे.

सीवान पहुंचने के बाद एक बार फिर शहाबुद्दीन ने अपने बयान को दोहराते हुए कहा कि नितीश कुमार परिस्थितियों वाले सीएम हैं. शहाबुद्दीन ने परिस्थितियों के सीएम की व्याख्या करते हुए कहा कि सीएम वो होता है जो जनता से चुनकर आता है, लेकिन जैसे मधु कोड़ा दो सीट होने के बावजूद सीएम बन गए, ठीक वैसे ही नितीश भी एक खास परिस्थितियों वाले सीएम हैं.

खुद की रिहाई से महागठबंधन पर संभावित प्रभाव के सवाल पर शहाबुद्दीन ने कहा कि वो न तो विधायक हैं, ना ही सांसद, इसलिए उनकी वजह से कोई प्रभाव पड़ने का सवाल नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे नेता लालू जी ने चुनाव पूर्व नितीश कुमार को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया था, इसलिए ये उनका अपना विषय है. रही बात मेरी तो लालू जी मेरे नेता थे और हैं. वहीँ ज़मानत पर रिहा होने के पीछे राजनीतिक दबाव होने पर शहाबुद्दीन ने कहा कि ये उनका स्वभाव नहीं कि वो ऐसी वैसी चीज़ों के लिए किसी से मदद नहीं लेते. उन्होंने कहा कि ये मामला पूरी तरह कोर्ट का मामला है. इसलिए जबतक कोर्ट को लगा कि हमें जेल ने रखना है, तबतक रखा.

आपने पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी के सुरक्षा मांगने के मुद्दे पर शहाबुद्दीन ने कहा कि जो डरें, उन्हें सुरक्षा मांगनी चाहिए, वहीं भागलपुर से सिवान तक के रोड शो को शक्तिप्रदर्शन के तौर पर देखे जाने से इनकार करते हुए शहाबुद्दीन ने सुशील मोदी के 14 सितंबर को धरना देने के मुद्दे पर मोदी को गम्भीरता से नहीं लेने का कहकर उनसे बात करने को अपनी तौहीन समझा.

उल्लेखनीय है कि तेज़ाब कांड में नवंबर 2004 से जेल में बंद शहाबुद्दीन शनिवार को पटना हाई कोर्ट के आदेश पर ज़मानत पर रिहा हुआ. शहाबुद्दीन पर कुल 63 मामले दर्ज हैं, जिनमे 36 मामले मजिस्ट्रेट के यहाँ और 27 मामले सेशंस कोर्ट में दर्ज हैं.बता दें कि 1967 में जन्में शहाबुद्दीन ने 1980 में छात्र राजनीति में उतरा और 1986 में उसके खिलाफ पहला मामला दर्ज हुआ. 1990 में शहाबुद्दीन ने पहली बार विधायक का चुनाव निर्दलीय जीता. इसके बाद उसने कभी मुड़कर नहीं देखा. 

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