नई दिल्ली : रेल अनुदान की मांग पर लोकसभा में उत्तर देते हुए केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि देश में रेल के कई ब्रिज 100 वर्ष से अधिक पुराने हो चुके हैं. उन्होंने कहा यह चिंता का विषय है किन्तु हमने अब इन सबका ऑडिट कराना आरंभ कर दिया है. गोयल ने कहा है जो भी रेल मंत्री होता है वो रात में सोने से पहले यही प्रार्थना करता है कि कही इन पुलों के कारण कोई दुर्घटना न हो.
पियूष गोयल ने बताया है कि रेलवे जल्द ही दृष्टि एप पर इसकी जानकारी देगा कि कौन सा ब्रिज कितना पुराना है, उसका कब ऑडिट हुआ और अगर कोई मरम्मत की जानी है तो हुई क्यों नहीं. लोकसभा में जवाब देते हुए पियूष गोयल ने स्वीकार किया है कि देश में रेल के कई परियोजनाएं ऐसी भी है 40 साल से अधिक पुरानी है लेकिन अभी पूरे नहीं हुई. बंगाल में सबसे पुराना 1974 का रेल लाइन का प्रोजेक्ट है जो आज तक पूरा नहीं हो सका है, क्योंकि प्रदेश सरकार इसके लिए जमीन नहीं दे रही है.
ऐसे ही कई प्रोजेक्ट बंगाल में दशकों से लंबित हैं. इसी तरह केरल के 9 प्रोजेक्ट इसलिए पूरे नहीं हो पा रहे क्योंकि वहां भी प्रदेश सरकार सहयोग नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने मुंबई की तर्ज पर कर्नाटक के बेंगलुरु में भी सबअर्बन ट्रेन चलाने का निर्णय किया है. रेल मंत्री ने लोकसभा में कहा कि ट्रेनों के वक़्त पर चलने की जानकारी 2014 तक पुराने तरीके से बताई जाती थी अब हमने 2014 के बाद ऑटोमेटिक डेटा लॉगर सिस्टम लगा दिया है जिससे सही जानकारी लोगों को मिलनी आरंभ हो गई है.
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