नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से सवाल किया है कि आखिर क्यों अधिकांश बड़े अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिल जाता है. नेताओं और अपराधियों के इस खतरनाक गठजोड़ के पीछे क्या राज है और इसे कैसे रोका जा सकता है? जस्टिस तरुण गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी. UP सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसमें कोर्ट ने राजनीति के अपराधीकरण रोकने के उपाय खोजने के लिए एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया था. इस कमेठी में समाज के सम्मानित लोगों शामिल करना था. यह कमेठी सरकार को राजनेता और अपराधियों के गठजोड़ रोकने के सुझाव देते.
UP सरकार की अपील के 8 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा को हाईकोर्ट द्वारा तय मुद्दों की समीक्षा करने और उन मुद्दों की सूची बनाने का जिम्मा सौंपा है जिनमें न्यायिक कार्यवाई की जरूरत है. जस्टिस गोगोई की बेंच ने केंद्र और राज्य सरकारों से इस मुद्दे पर राय मांगी. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी राजनीति के अपराधीकरण का मुद्दा उठाया था. कोर्ट द्वारा 2002 में चुनाव लड़ने से पहले अपने ऊपर चल रहे आपराधिक मामलों की जानकारी देना अनिवार्य किया गया था.