शनि की साढ़ेसाती से छुटकारा दिलाता है इतने मुखी रुद्राक्ष
शनि की साढ़ेसाती से छुटकारा दिलाता है इतने मुखी रुद्राक्ष
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सनातन धर्म में रुद्राक्ष को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। जी हाँ और इसका विशेष महत्व है। आप सभी को बता दें कि रुद्राक्ष से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष सभी की प्राप्ति होती है। वहीं शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्रों से गिरने वाले जल बूंदों से निर्मित हुआ है। कहा जाता है रुद्राक्ष धारण करने वाले पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कौन सा रुद्राक्ष पहनने से क्या लाभ मिलता है।


छहमुखी रुद्राक्ष- छहमुखी रुद्राक्ष षण्मुख कार्तिकेय का माना जाता है। ऐसे में इसको धारण करने से भय से मुक्ति और आरोग्य प्राप्त होता है। इसी के साथ ही बल और वीर्य की वृद्धि होती है। इसके अलावा शत्रुओं से परेशान व्यक्तियों के लिए भी यह रुद्राक्ष लाभकारी है।

सप्तमुखी रुद्राक्ष- सप्तमुखी रुद्राक्ष सप्तमातृकाओं का प्रतिक माना जाता है। कहते हैं इसको धारण करने से माता लक्ष्मी प्रस्नन रहती हैं और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इसी के साथ ही समाज में मान-सम्मान बढ़ता है और शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत मिलती है।

अष्टमुखी रुद्राक्ष - अष्टमुखी रुद्राक्ष अष्टमातृकाओं का प्रतीक माना जाता है। आपको बता दें कि यह रुद्राक्ष मां गंगा को अति प्रिय है। जी हाँ और इसको धारण करने से सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस रुद्राक्ष को राहु का प्रतिक माना जाता है। कहते हैं इसको धारण करने से राहु के सभी अशुभ प्रभाव से बच सकते हैं।

नौमुखी रुद्राक्ष- नौमुखी रुद्राक्ष नवशक्ति का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं इसको धारण करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं और यमराज और मृत्यु का भय दूर होता है। केवल यही नहीं बल्कि यह रुद्राक्ष केतु का प्रतीक माना जाता है। इसको धारण करने से केतु के सभी अशुभ प्रभाव से बच सकते हैं।

12 और 14 मुखी रुद्राक्ष- बारहमुखी और चौदहमुखी रुद्रक्ष को भगवान और शिव का स्वरूप माना गया है। जी हाँ और इसे धारण करने पर घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है और सुख-शांति का वास होता है। केवल यही नहीं बल्कि इनके घर में ज्यादातर धर्म-कर्म के काम होते रहते हैं और इसे धारण करने वाले लोग आमोद की प्राप्ति होती है।

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