सबसे पहले मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएं, श्वास को छोड़ते हुए दोनों घुटनों को एक साथ मोड़ें, एड़ियों को पीठ की ओर बढ़ाएं और अपनी बांहों को पीछे की ओर ताने फिर बाएं हाथ से बाएं टखने को एवं दायें हाथ से दायें टखने को पकड़ लें.
अब श्वास भरकर उसे रोके रखें, अब सांसों को पूरी तरह निकाल दें और जमीन से घुटनों को उठाते हुए दोनों पैर ऊपर की ओर खींचें और उसी समय जमीन पर से सीने को उठाएं. बांह और हाथ झुके हुए धनुष के समान शरीर को तानने में प्रत्यंचा के समान कार्य करते हैं.
अब अपने सिर को ऊपर की ओर उठाएं और पीछे की ओर ले जाएं. अब घुटनों और टखनों को सटा लें. इस दौरान श्वास की गति तेज होगी, लेकिन इसकी चिंता न करते हुए 15 सेकंड से 1 मिनट तक रुकें और आगे- पीछे, दाएं -बाएं शरीर को हिला डुला सकते हैं. अब श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे टखनों को भी छोड़ दें और दोनों पैरों को सीधी कर लें.
यह ध्यान रहे कि पहले घुटनों को जमीन पर रखें फिर तुड्डी को जमीन स्पर्श कराएं और इसके बाद पैरों को छोड़ते हुए उन्हें जमीन तक धीरे धीरे आने दें. अपने कपोल को जमीन पर रखकर विश्राम करें. यह अभ्यास 5 सेकेंड से शुरु करें और प्रतिदिन समय को तब तक बढ़ाते रहें जब तक बिना किसी दबाव के 15 से 30 सेकेंड तक न हो जाये.