नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने बैंकों में 5700 रूपए प्रति माह के वेतन वाले ग्रुप-ए के पदों पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की श्रेणी के कर्मचारियों को आरक्षण का लाभ दिए जाने की बात कही थी। इस तरह के निर्णय पर यह जानकारी सामने आई है कि न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति एके सीकरी की पीठ ने इस तरह के निर्णय को गलती मानते फैसले से गलती वाले पैराग्राफ हटाने का आदेश दिया।
न्यायाधीश ने कहा कि इस गलती को ठीक करने के लिए उन्हें पुनर्विचार याचिका में किए जाने वाले अनुरोध को निश्चिततौर पर स्वीकार करना होगा। सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक समेत अन्य बैंकों द्वारा पुनर्विचार याचिका के अनुरोध को स्वीकार करने के ही साथ पीठ को अटाॅर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की दलीलें असर करती नज़र आईं। पीठ ने भी माना कि इन याचिकाओं को स्वीकार किया जाना चाहिए।
न्यायालय द्वारा यह भी कहा गया कि गलती के तहत पदोन्नति में भी आरक्षण दे दिया गया है। यह गलती 5700 रूपए प्रति माह के वेतन वाले पदों को लेकर की गई। इस तरह की गलतियों की बात अभिलेखों से ही नज़र आती है। पदोन्नति के मसले पर इस तरह का आरक्षण प्रथम स्केल से 6 ठे स्केल तक लागू है।