सुप्रीम कोर्ट का फैसला संसदीय संप्रभुता के लिए बड़ा झटका
सुप्रीम कोर्ट का फैसला संसदीय संप्रभुता के लिए बड़ा झटका
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नई दिल्ली : पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नेशनल ज्यूडिशीयल अपऑइंमेंटस कमिशन को असंवैधानिक करार देना संसदीय संप्रभुता के लिए एक बड़ा झटका है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्र सत्ता के पक्षधर होने के बावजूद भी मुझे यह कहते हुए अफसोस हो रहा है कि आज संसद की संप्रभुता को चोट पहुंची है.

गौरतलब है कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में जजों के नियुक्ति के लिए कॉलोजियम सिस्टम को सही ठहराया. प्रसाद इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि न्यायिक आयोग बनाने का फैसला पूरी तरह विचार विमर्श के 20 साल बाद न्यायिक सुधार के तहत लिया गया था, हम इस फैसले का अध्ययन करेंगे और इस पर जवाब देंगे.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर महाधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले से दोबारा लागू होने वाली कॉलेजियम प्रणाली का संविधान में कहीं उल्लेख नहीं है और ‘अपारदर्शी' होने के कारण यह उचित नहीं है. हालांकि इसकी समीक्षा के मामले को खारिज करते हुए उन्होने कहा कि ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह समीक्षा का मामला है क्योंकि फैसला विस्तृत है और हजारों पन्नों में है.'

हालांकि महाधिवक्ता ने उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के मुद्दे पर सरकार और न्यायपालिका के बीच किसी तरह के टकराव से इनकार किया और उन्होने माना कि नियुक्तियां पूरी तरह पारदर्शी नहीं होंगी.

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