जुड़वां बहनों को बोर्ड एग्जाम में मिले जुड़वाँ नंबर
जुड़वां बहनों को बोर्ड एग्जाम में मिले जुड़वाँ नंबर
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झारखण्ड/रांची: आज तक तो आपने बहुत से जुड़वां लोगो के बारे में बहुत सी बाते सुनी होगी लेकिन छत्तीसगढ़ की इन दोनों जुड़वां बहनों के बारे में जानकर तो हर कोई हैरान हैं, और हो भी क्यों नहीं इन दोनों ने काम ही ऐसा किया है इन दोनों बहनों में बहुत कुछ समान है लेकिन सबसे दिलचस्प यह है कि इन दोनों की मार्क्स शीट भी तकरीबन एक जैसी हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं रांची की जुड़वां बहनों, अपरूपा और अनुरूपा चट्टोपाध्याय की। 18 मई को घोषित किए गए ICSE के 10वीं के रिजल्ट्स में इन दोनों बहनों ने तकरीबन एक जैसे मार्क्स हासिल किए हैं। बड़ी बहन अपरूपा ने 98 पर्सेंट और छोटी बहन अनुरूपा ने 97.8 पर्सेंट मार्क्स पाए हैं, लॉरेटो कॉन्वेंट में पढ़ने वाली इन दोनों बहनों के 5 सब्जेक्ट्स में समान नंबर हैं। दोनों के कंप्यूटर स्टडीज में पूरे 100, अंग्रेजी में 95, साइंस में 99, मैथ्स में 98 और हिस्ट्री, जिऑग्रफी में 97 मार्क्स आए हैं। केवल हिंदी में दोनों के अलग अंक हैं। हिंदी में अनुरूपा के 98 और अपरूपा के 97 मार्क्स आए हैं, अपरूपा व अनुरूपा डाक्टर बनना चाहती हैं। इनके पिता शैलेश चट्टोपाध्याय बीएयू में वैज्ञानिक हैं जबकि मां मौसमी चट्टोपाध्याय गृहिणी हैं। मौसमी चाहती हैं कि उनकी दोनों बेटियां साथ खेलें और साथ ही पढ़ें। शैलेश चट्टोपाध्याय ने बताया कि उनकी बेटियों ने कभी एग्जाम के लिए ट्यूशन नहीं लिया और हमेशा एक दूसरे के साथ से ही पढ़ाई की।

अपरूपा और अनुरूपा दोनों बहनों का कहना है कि हमारी इस सफलता का श्रेय हम अपने माता-पिता व शिक्षकों को देती हैं। दोनों बहनो ने बताया कि हम अक्सर साथ में ही पढ़ाई करते हैं जिससे हमें सब्जेक्ट्स को बेहतर तरीके से समझने में सहायता मिलती है, आगे की पढ़ाई के लिए दोनों बहनों का नामांकन जेवीएम श्यामली में हो चुका है और काफी हद तक संभव है कि दोनों एक ही क्लास में एक जैसे सब्जेक्ट्स पढ़ें। उनके पिता शैलेश चट्टोपाध्याय बताते हैं कि कोलकाता से रांची आने के बाद उन्होंने पिस्का मोड़ पर किराए का आशियाना बनाया था लेकिन इनकी पढ़ाई के लिए स्कूल के पास में ही किराए के मकान में आ गए, अब दोनों बहनें डॉक्टर बनना चाहती हैं। उनकी मां चाहती हैं कि उनकी बेटियों को एक ही मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिले और दोनों साथ में ही MBBS करें। वहीं, उनके पिता का कहना है कि हमने अपनी बेटियों पर कभी डॉक्टर बनने का जोर नहीं दिया। यह फैसला उन दोनों ने मिलकर लिया है। भविष्य में यह संभव नहीं है कि दोनों हमेशा साथ रहें इसलिए वे चाहते हैं कि दोनों एक-दूसरे पर निर्भर न रहें।

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