राष्ट्रपति मुखर्जी नें राजीव गांधी को राम मंदिर फैसले पर ठहराया गलत
राष्ट्रपति मुखर्जी नें राजीव गांधी को राम मंदिर फैसले पर ठहराया गलत
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नई दिल्ली : अयोध्या राम मंदिर का मामला अभी कुंछ दिनों से सुर्खियों से गायब था। की राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नें फिर सें एक बार इस मामले को हवा दें दीं हैं। आज जहां लोंग इस मामले में लेकर अपना फैसला कर चुंके हैं तथा सरकार एक तरफ जल्द ही मंदिर निर्माण की बात कर रहीं हैं। उस समय राष्ट्रपति की ये बात कुछ अजीब हीं लगती हैं। 

दरअसल राष्ट्रपति नें ये बात अपनी पुस्तक ' द टर्ब्युलेंट ईयर्स 1980-1996 ' के माध्यम सें कहीं हैं। राष्ट्रपति के अनुसार 1986 में राम मंदिर का दरवाजा खोलना राजीव गांधी का बहुत गलत फैसला था यदि वो चाहते तो सही समय पर सही फैसला लेकर लोगों के बीच फ़ेल रहें आक्रोश को कम कर सकते थे किन्तु उन्होने एसा कुंछ भी नहीं किया और बाबरी मस्जिद को गिरवाकर उन्होने आग में घी डालने वाला काम किया था। मुखर्जी के मुताबिक ये कदम पूरी तरह से राजनैतिक था जिसका पूरा लाभ राजीव गांधी लेना चाहते थे तथा उनका ये कदम सोचा समझा हुआ था। किन्तु इन सब में वो ये भूल गए कि उनके इस कदम सें कितने ही मुस्लिम लोगों कि भावनाए आहात हो रहीं हैं तथा भारत कि छवि भी उनके इस कदम सें बहुत ही खराब हुई थी।  

मुखर्जी ने अपनी किताब में लगता हैं कि सिर्फ राजीव गांधी को गलत साबित करने का जिम्मा लिया था। मुखर्जी के अनुसार राजीव गांधी के कार्यकाल में बहुत सी अप्रिय घटना घटित हैं जिनमें राम  जन्मभूमि मंदिर - बाबरी मस्जिद, तथा जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के मामलों नें देंश को पूरी तरह हिला दिया था। मुखर्जी नें अपनी किताब में  विश्व हिन्दू परिषद पर निशाना लगाते हुये लिखा हैं कि विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओ द्वारा पूरे देंश से ईटें एकत्र कर उन्हें अयोध्या ले जाने के मामले नें भी सांप्रदायिक दंगो को भड़काने का काम किया था जो बहुत ही अप्रियपूर्ण घटना थी। अपने कार्यकाल में राजीव जी नें यदि इन सब चीजों पर ध्यान दिया होता तो शायद समाज और देंश दो गुटों में न बंट गया होता। 

मुखर्जी इतने पर ही नही रुकें उन्होने शाह बानो के तलाक कें मामले में भी राजीव गांधी के फैसले को गलत ठहराया हैं। उन्होने लिखा कि शाह बानो 5 बच्चो कि माँ थी तथा उसने 1978 मे अपने पति से तलाक ले लिया था जो  आपराधिक कार्यो मे लिप्त था इस मामलें में राजीव गांधी द्वारा तलाक के बाद मिलने वाले गुजारा भत्ते को लेकर बनायें गए प्रावधान संतोष जनक नहीं था जिसमे राजीव कि बहुत  ज्यादा आलोचना हुई थीं। 
मुखर्जी के अनुसार राजीव गांधी के पास खुद फैसला लेने का विवेक नहीं था राजीव गांधी हमेशा दूसरों पर आश्रित रहते थे। और उनके वो सलाहकार भी उनके माध्यम से अपना काम निकालने में लगें रहते थे। मुखर्जी नें बोफोर्स मुद्दे को भी राजीव गांधी के एक खराब प्रदर्शन का नतीजा बताया। अंतत: 21 मई 1991 को एक हमले में राजीव गांधी का दुखद निधन हो गया। 

मुखर्जी के अनुसार 1980 का दौर परेशानियों का दौर था जिससे निपटने के साधन कम थे। फिर 1990 का दौर आया जिसमें सुरक्षा नीति तथा परेशानियों से निपटने के पूर्ण साधन उपलब्ध थे। तथा भारत इस दौरान हर मुश्किलों पर काबू पाने में सफल रहा। 

मान्यनीय राष्ट्रपति जी नें अपनी किताब में राजीव गांधी को प्रमुख निशाना क्यूँ बनाया ये समझ पाना थोड़ा मुसकिल हैं अब इसकी वजह तो सिर्फ वो ही बता सकते हैं। 

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