पहले किया ऐलान, अब पीछे खींचे पाँव ! लाल चौक पर तिरंगा क्यों नहीं फहराएंगे राहुल गांधी ?
पहले किया ऐलान, अब पीछे खींचे पाँव ! लाल चौक पर तिरंगा क्यों नहीं फहराएंगे राहुल गांधी ?
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श्रीनगर: 'भारत जोड़ो यात्रा' लेकर निकले कांग्रेस के पूर्व लोकसभा अध्यक्ष राहुल गांधी जम्मू कश्मीर के श्रीनगर स्थित ऐतिहासिक लाल चौक पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा नहीं फहराएंगे। खुद कांग्रेस पार्टी ने इसकी पुष्टि की है। जम्मू-कश्मीर की अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) प्रभारी और पार्टी सांसद रजनी पाटिल ने बताया है कि राहुल गांधी 30 जनवरी को श्रीनगर में कांग्रेस हेडक्वार्टर पर तिरंगा फहराएंगे, न कि लाल चौक पर। रजनी पाटिल ने कहा कि लाल चौक पर तिरंगा फहराना 'RSS के एजेंडे का हिस्सा था।' 

बता दें कि इससे पहले तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि, 30 जनवरी को कांग्रेस के लोकसभा सांसद राहुल गांधी श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराने वाले हैं, जहाँ 1992 में नरेंद्र मोदी ने तिरंगा फहराया था। उस वक़्त कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था और तिरंगा फहराने वालों को जान से मारने की धमकियाँ तक दी गई थी। लेकिन, आतंकियों की धमकियों के बावजूद भाजपा के वयोवृद्ध नेता मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में 'एकता यात्रा' श्रीनगर पहुंची थी और लाल चौक में तिरंगा फहराकर कट्टरपंथियों की धमकियों को करारा जवाब दिया था। हालांकि, राहुल गांधी ऐसा नहीं करने वाले हैं। दरअसल, राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में महबूबा मुफ़्ती भी शामिल होंगी। इन्ही महबूबा मुफ़्ती ने धमकी देते हुए कहा था कि, यदि प्रदेश से अनुच्छेद 370 हटाया गया, तो पूरे जम्मू कश्मीर में कोई तिरंगा उठाने वाला नहीं मिलेगा। शायद इसी को देखते हुए कांग्रेस ने सिर्फ अपने मुख्यालय पर तिरंगा फहराने का फैसला लिया है। बता दें कि, कांग्रेस शुरू से अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध करती रही है, जो कश्मीर में आतंकवाद के फैलने की मुख्य जड़ है।    

बता दें कि, राहुल गांधी अक्सर आतंकवाद पर बात करने से बचते रहे हैं। ऐसे में वे या उनकी पार्टी कांग्रेस भी नहीं चाहेगी कि, लाल चौक पर तिरंगा फहराकर इस मुद्दे को हवा दी जाए। इसलिए कांग्रेस ने पहले लाल चौक पर तिरंगा फहराने की घोषणा करने के बाद भी, उसे 'RSS का एजेंडा' बताकर यू टर्न मार लिया है। बता दें कि, राहुल गांधी अपनी पूरी यात्रा के दौरान भाजपा-RSS पर हमला करते रहे हैं और लोगों को इस विचारधारा से लड़ने के टिप्स देते रहे हैं। लेकिन, खुद राहुल गांधी, जिस राज्य से लोकसभा सांसद हैं, उस केरल राज्य से सैकड़ों लोग आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) में भर्ती होने इराक, सीरिया, अफगानिस्तान जैसे देशों में जा रहे हैं, मगर एक बार भी राहुल ने उन युवाओं से आतंकी न बनने की अपील नहीं की है। ऐसे में अक्सर उन पर सवाल उठते रहते हैं कि, आखिर राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस, आतंकवाद पर बात करने से क्यों कतराती है ? क्या इसके पीछे वोट बैंक वजह है ?

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