विवाह व्यक्ति के जीवन का एक बहुत बड़ा मांगलिक कार्य होता है. विवाह की बेला हिंदू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। दुनिया के प्रत्येक धर्म, में विवाह की परम्परा अलग -अलग होती है .सभी धर्मों में अपने-अपने तरीके से विस्तृत वर्णन है।
हिंदू धर्म में यह एक विवाह मांगलिक कार्य 16 मुख्य संस्कारों में से एक है। यह व्यक्ति के जीवन का एक बड़ा शुभ कार्य होता है और विवाह यदि समय पर हो जाए तो वैवाहिक जीवन सुखमय व्यतीत होता है। व्यक्ति के दाम्पत्य जीवन में वाधा नहीं आती विवाह नर और नारी को एकता के सूत्र में बांधता है. यह वंश को आगे बढ़ाने की अटूट और पवित्र परंपरा है। जो जन्म जन्मान्तर से चली आ रही है।
आज के समय में देखा जा रहा है की विवाह या तो बहुत जल्दी हो जाते हैं. या बहुत देर से, जल्द और देर से होने वाले विवाह में वर और वधु के बीच आपसी ताल मेल नहीं बन पाता ऐसे में कभी-कभी वैवाहिक जीवन में संतुलन डगमगा जाता है। पर ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता। इसलिए विवाह के लिए एक उचित उम्र रखी गई है लड़की के लिए 18 वर्ष और लड़के की आयु 21 वर्ष पर कई बार यह होता है की बहुत से लोगो की उम्र बढ़ती चली जाती है. और विवाह का कोई योग नहीं बन पाता.
कन्या के विवाह में आ रही हो वाधा का निवारण -
यदि आपकी पुत्री के विवाह में देरी हो रही हो , बात पक्की होने के बाद टूट जा रही हो , ये कुछ आम समस्याएं सी बनती चली जा रही हैं.इससे बेटी के पिता को चिंता बढ़ती जाती है। पर कन्या व् उसके पिता इससे घबराएं न इसके कुछ सरल उपायों को जानें .
जिस कन्या के विवाह में देरी हो रही हो वह -
कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी।
नंद गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।
मन्त्र का जाप पूर्ण विश्वाश के साथ करे उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी .
कन्या को चाहिए की वह इस मंत्र का जाप तुलसी की 1 माला के साथ नित्य नियम के साथ करे । जप करते समय शुद्धता से रहें। गुरुवार को केले के पेड़ का पूजन करें व पीला खाद्य पदार्थ खाएं और पीला वस्त्र धारण करें। सबसे जरूरी ईश्वर पर पूरा विश्वास करें आपका कार्य जरूर सिद्ध होगा।