डॉक्टरों की असंवेदनशीलता ने ली एक मासूम की जान
डॉक्टरों की असंवेदनशीलता ने ली एक मासूम की जान
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गुड़गांव: राजधानी दिल्ली से सटे गुडगाँव के सिविल अस्पताल में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है, यहाँ पटौदी में दौलताबाद के रहने वाला जयदेव अपनी गर्भवती पत्नी सोनिया को गुड़गांव सिविल अस्पताल लाया था, लेकिन यहां डॉक्टरों की मनमानी और लापरवाही के कारण उन्हें असहनीय वेदना और पीड़ा का सामना करना पड़ा.

जब जयदेव अपनी पत्नी को अस्पताल लेकर पहुंचा तो पहले तो अस्पताल की टीम ने महिला को दूसरे अस्पताल में रेफेर करने की बात कहकर तीन घंटे तक बिठाये रखा, महिला दर्द से तड़प रही थी, लेकिन डॉक्टरों की मानवता तो शायद मुर्दों के बीच रहते-रहते मुर्दा हो चुकी थी. हैरान करने वाली बात तो यह कि लेबर पेन से तड़प रही महिला को अस्पताल में व्हील चेयर पर बैठा दिया गया. इसी बीच जब लेबर पेन से तड़प रही महिला के गर्भ से बच्चे का हाथ बाहर निकला तो निर्दयी डॉक्टरों ने उस हाथ को वापिस गर्भ में धकेल दिया, महिला चिल्लाती रही, उसका पति बदहवास सा अस्पताल के आला अधिकारीयों के चक्कर लगता रहा, लेकिन अंग्रेजी किताबें पढ़े डॉक्टर, किसी गरीब के जज्बात क्या समझते.

उसके बाद जब काफी देर बाद एम्बुलेंस आई, तब महिला को सफदरगंज अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस में लिटाया गया, जिसके बाद उसकी डिलीवरी हो पाई, लेकिन गर्भ से निकलते ही बच्चे ने चंद साँसों के बाद दम तोड़ दिया. इसमें कसूर अगर देखा जाए उन पढ़े लिखे डॉक्टरों का नहीं है, उन्हें तो अपनी पढाई में लगाए लाखों रूपए की वसूली करना है. लेकिन एक बात समझ में नहीं आती कि अगर सरकारी अस्पतालों का यही हाल है तो क्यों सरकार अस्पताल में सुरक्षित प्रसव होने के झूठे दावे करती है.   

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