तनाव दूर करना है तो करे प्राणायाम

डिप्रेशन यानी जीने का नकारात्मक रवैया, स्वयं से अनुकूलन में असमर्थता आदि. जब ऐसा हो जाए तो उस व्यक्ति विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहां तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं। उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि का ही आभास होता है. 'डिप्रेशन' का कारण वातावरण परिस्थिति, स्वास्थ्य, सामर्थ्य, संबंध या किसी घटनाक्रम से जुड़ा हो सकता है। 

इस समस्यां से निपटने के लिए 'प्राणायाम' करें. सर्वप्रथम पद्मासन करे. फिर प्राणायाम के छोटे-छोटे आवर्तन करे. बीच में गहरी श्वास ले. आप देखेंगे तनाव घटता जा रहा है. चित्त शांत हो रहा है. नाड़ीशोधन प्राणायाम के पश्चात ग्रीष्मकाल में 'शीतली' और शीतकाल में सावधानी से 'मस्त्रिका' प्राणायाम करे. 

प्राणायाम के दो आवर्तनों के पश्चात 'ॐ' उच्चारण करे. प्रथम स्तर पर 'ओ' दीर्घ करे. जिससे ग्रीवा के अंदरूनी स्नायु कंपन, लय और बल पाकर सहज हों. तत्पश्चात 'ओ' लघु से दीर्घनाद करे. इसके कंपन मस्तिष्क, अधर-ओष्ठ और तालू को प्रभावित करेंगे. अनुभूत आनंद से चेहरे के खिंचाव और तनाव की स्थिति स्वतः जाती रहेगी. यदि ऐसा होने लगे तो समझिए आप कामयाब हो रहे हैं अपने 'मिशन' में. इसके बाद थोड़ा विश्राम. फिर श्वासन. अनिद्रा से परेशान है तो भरपूर नींद ले.

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