मथुरा : भारत के माननीय महामहिम (राष्ट्रपति) प्रणव मुखर्जी बुधवार को वृंदावन मे आयोजित चेतन्य महाप्रभु की पंचसती महोत्सव मे भाग लिया, यहाँ पर उन्होने कहा– यदि हमारा समाज चेतन्य महाप्रभु के आर्दशो पर चले तो देश मे सहनशीलता और सहिष्णुता का माहौल बन सकेगा। चेतन्य महाप्रभु के योगदान पर चर्चा करते हुए एकता, प्रेम, मानवता और सदभाव ही महाप्रभु का ध्येय था, और हमारे देश मे आज भी अनेकता मे एकता देखाई देती है, जो दूसरे देशो को प्रभावित करती है।
महामहिम के स्वागत के लिए राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, सांसद हेमा मालिनी पहुंची । महामहिम ने कहा की महाप्रभु ने उस समय समाज मे फैली कटुता, विषमता, को अपनी अनमोल वाणी से अनेकता मे एकता स्थापित की थी, और हमे इस एकता तो कायम रखने के लिए सहनशीलता व सहिष्णुता का महोल बनाए रखने की अवश्यकता है।
राज्यपाल जी ने कहा – 500 साल पहले महाप्रभु कुष्ठ रोगियो की सेवा करते थे ,जबकि आज लोग कुष्ठ रोगियो से दूर भागते है, उन्होने प्रेम की भाषा से वेष्णव धर्म का ऐसा प्रचार-प्रसार किया की पशु-पक्षी भी आनंदित हो उठते थे । चेतन्य महाप्रभु ने वृंदावन को फिर से बसाया और वेष्णव धर्म के प्रचारक रहकर, भक्तिकाल प्रमुख कवि थे, उन्होने भजन गायकी के नई शैली, जात-पात, ऊंच-नीच, को दूर करने की शिक्षा दी।