पटना। यूं तो देशभर में दीपावली जमकर मनाई गई लेकिन देशभर से मिली जानकारी में यही बातें सामने आ रही है कि लोगों ने पटाखे तो चलाए लेकिन इस बार कम आतिशबाजी की। कुछ लोगों ने लक्ष्मी पूजन कर पटाखे चलाकर शगून की औपचारिकता को पूरा किया। बिहार की राजधानी पटना को लेकर जानकारी सामने आई है कि यहां पर पटाखे तो चले लेकिन ध्वनि और वायु प्रदूषण कम हुआ है। इस मामले में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की जांच की।
जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि शाम 6 से रात्रि 10 बजे तक दिवाली के दिन वातावरण में सल्फर डाईआॅक्साईड की मात्रा अधिक थी। इतना ही नहीं नाइट्रोजन डाईआॅक्साईड की मात्रा शाम 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक के समय में 80 माइक्र्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक थी। इतना ही नहीं वातावरण में धूल के कण भी अधिक थे। हालांकि वातावरण में मौसमी आद्रता भी रही।
दीपावली के दिन ध्वनि प्रदूषण अधिक रहा। यह प्रदूषण पटाखों के चलने से तो हुआ ही वाहनों के हाॅर्न बजाने से भी हुआ। हालात ये थे कि ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़कर 82.4 हो गया था जो सामान्य से काफी अधिक था। हालांकि पटाखे न चलाने को लेकर जागृति की भावना लोगों में अधिक रही लेकिन फिर भी प्रदूषण काफी हुआ।
वल्र्ड हेल्थ आॅर्गनाईशन के अनुसार पटना में जो वायु प्रदूषण हुआ वह सामान्यतौर पर होने वाले प्रदूषण से 16 गुना अधिक था। यह सेफ लिमिट के बाहर रहा। पटना में पीएम - 10 का स्तर भी 520 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी मशीनें बिहार के अलग - अलग क्षेत्रों में लगाई थीं। जिसके आधार पर जानकारी एकत्रित की गई।