मुस्लिम आरक्षण पर मचा सियासी घमासान, अब अशोक गहलोत ने इस पर दिया बड़ा बयान
मुस्लिम आरक्षण पर मचा सियासी घमासान, अब अशोक गहलोत ने इस पर दिया बड़ा बयान
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जयपुर: भाजपा के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार द्वारा OBC सूची में 14 मुस्लिम समूहों की समीक्षा करने की घोषणा के बाद , राज्य के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने आज सोमवार को कहा कि सभी मुस्लिम आरक्षण का लाभ नहीं उठाते हैं, लेकिन पिछड़े वर्ग (OBC) के लोग इसका लाभ उठाते हैं।

अशोक गहलोत ने कहा कि, "सरकार चाहे जो भी कहे, कुछ नहीं होगा। हमने OBC आयोग की सिफारिशों पर आरक्षण दिया है। सभी मुस्लिम आरक्षण का लाभ नहीं उठाते हैं, लेकिन पिछड़े वर्ग के लोग इसका लाभ उठाते हैं। केवल वे ही इसे पाते हैं जो OBC में आते थे।" इससे पहले राजस्थान के सामाजिक न्याय मंत्री अविनाश गहलोत ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस ने ओबीसी श्रेणी के तहत 14 मुस्लिम जातियों को आरक्षण दिया और राज्य सरकार जल्द ही उनकी समीक्षा करेगी। राजस्थान में कुल मिलाकर 64 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है। 21 प्रतिशत OBC के लिए, 16 प्रतिशत SC के लिए, 12 प्रतिशत ST के लिए, 10 प्रतिशत EWS के लिए और 5 प्रतिशत सबसे पिछड़े वर्गों के लिए है। 

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस मुद्दे को उठाया और कहा कि उनकी सरकार राज्य में पिछली सरकारों में मुस्लिम समुदायों को दिए गए अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण की जांच करेगी। उन्होंने कहा कि, "कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, TMC और INDI गठबंधन की अन्य पार्टियाँ हमेशा OBC के अधिकारों की बात करती हैं। लेकिन वे हमेशा उन्हें धोखा देती हैं। बंगाल में 2010-2024 तक घुसपैठियों और मुसलमानों को OBC प्रमाण पत्र दिए गए। यह ओबीसी समुदाय के लिए सीने में चाकू घोंपने जैसा था। कलकत्ता HC के आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाना चाहिए। अन्य राज्यों में भी इसी तरह की जाँच की जानी चाहिए। उत्तर प्रदेश में भी हम इस बारे में विस्तृत समीक्षा करेंगे। हम किसी को भी ओबीसी आरक्षण छीनने की अनुमति नहीं देंगे।" 

बता दें कि, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में 2010 के बाद जारी किए गए सभी ओबीसी प्रमाण पत्र रद्द कर दिए थे। अदालत ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग को 1993 के अधिनियम के अनुसार ओबीसी की एक नई सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। 2010 से पहले OBC सूची में शामिल लोग बने रहेंगे। हालांकि, 2010 के बाद सभी ओबीसी नामांकन रद्द कर दिए गए। इस आदेश के बाद करीब 5 लाख ओबीसी प्रमाण पत्र रद्द होने की संभावना है। 2010 के बाद ओबीसी कोटे के तहत नौकरी करने वाले या पाने की प्रक्रिया में लगे लोगों को कोटे से बाहर नहीं रखा जा सकता। इससे उनकी नौकरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा और उन्हें कोटे से बाहर नहीं रखा जा सकता।

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