निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है, जिसका कारण जीवाणु, विषाणु अथवा परजीवी होते हैं. जीवाणुजनित निमोनिया जिसे न्यूमोकोकल डिजीज कहते हैं, अन्य निमोनिया की अपेक्षा ज्यादा गंभीर होता है क्योंकि इससे मेनिन्जाइटिस और कान में संक्रमण जैसे एक्यूट ओटइटिस होने का भी खतरा हो जाता है. इससे बच्चों की मौत तक हो सकती है.
पांच वर्ष से कम उम्र के 30-40 प्रतिशत बच्चों में निमोनिया पाया जाता है. इसका सबसे बड़ा कारण वायरल इंफेक्शन है. घरों में साफ-सफाई, बच्चों का सही पोषण और बच्चों को छूने से पहले सफाई का ख्याल रखा जाए तो निमोनिया से बचाव संभव है. इसके साथ ही निमोनिया से बचाव के लिए बच्चों का नियमित टीकाकरण भी कराना जरूरी है.
ये हैं लक्षण
1-- बच्चे को सूखी खांसी आना.
2- सांस लेने पर आवाज आना.
3- सीने में दर्द.
4- बुखार-कंपकपी.
5- थकान और दिल की धड़कनों का तेज होना.
बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए जरूरी है कि मां उन्हें जब तक संभव हो, स्तनपान कराएं. स्तनपान करने वाले बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी होती है, जो उन्हें कई वायरल इंफेक्शन से बचाता है.