शाकाहारी लोगों को अक्सर ये बोलते सुना जाता है कि भला कोई मांस कैसे खा लेता है? क्या जानवर के दर्द और चीख के बारे में सोचकर दिल नहीं पसीजता? अब हाल में आई स्टडी में चौंकाने वाला दावा किया गया है. इस स्टडी में पौधों को होने वाले दर्द के बारे में बताया गया है.
कैसे सुन सकते हैं पौधों की चीख?
एक नए शोध के मुताबिक, पौधे जब परेशान होते हैं या खाने के लिए उनकी कटाई की जाती है तो वे 'चीख' जैसी आवाजें निकालते हैं. स्टडी में पाया गया है कि वे कथित तौर पर ऐसी आवाजें पैदा करते हैं जिन्हें मनुष्य साइंटिफिक इक्विपमेंट के उपयोग के बिना नहीं सुन सकते. 2023 में सेल में प्रकाशित हुई स्टडी से पता चला है कि पौधे तीव्र संकट के वक़्त में ये आवाजें पैदा करते हैं.
कई जानवर सुन सकते हैं ऐसी आवाजें
टेल अवीव यूनिवर्सिटी में एक विकासवादी जीवविज्ञानी लिलाच हेडानी ने कहा- एक शांत क्षेत्र में भी, वास्तव में ऐसी ध्वनियां होती हैं जिन्हें हम नहीं सुनते हैं, इनमें जानकारी होती है. ऐसे कई जानवर हैं जो इन आवाजों को सुन सकते हैं, इसलिए संभावना है कि शांत स्थान पर बहुत अधिक ध्वनिक बातचीत हो रही होती है.
कीड़ों और अन्य जानवरों से करते हैं बातचीत
पौधे हर वक़्त कीड़ों और अन्य जानवरों के साथ बातचीत करते हैं, तथा इनमें से कई जीव संचार के लिए ध्वनि का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए हो ही नहीं सकता कि पौधे आवाज न करें. शोध के रिजल्ट्स से पता चलता है कि पौधे संकट में तेज चीखने की आवाज करते हैं. साथ ही कोई समस्या न हो तो पौधे कोई आवाज नहीं करते. स्टडी में इस्तेमाल किए गए डिस्ट्रेस पौधों का मतलब है कि ऐसे पौधे जिनके तने कटे हुए थे या जिन्हें पानी नहीं दिया गया था उनपर ही ये विशेष शोध किया गया है.
हेडानी के अनुसार, हालांकि, यह अभी तक साफ़ नहीं है कि पौधे ये शोर कैसे उत्पन्न करते हैं. अब जब हम जानते हैं कि पौधे आवाज करते हैं, तो अगला सवाल है कि इन्हें सुनता कौन होगा?. तो बता दें कि हम वर्तमान में इन ध्वनियों के प्रति अन्य जीवों, जानवरों और पौधों के रिएक्शन की तहकीकात कर रहे हैं. हम पूरी तरह से प्राकृतिक वातावरण में ध्वनियों को पहचानने तथा उनकी व्याख्या करने की हमारी क्षमता की भी खोज कर रहे हैं.
निष्कर्ष में, अध्ययन वनस्पति विज्ञान और पारिस्थितिकी में अन्वेषण के नए रास्ते खोलता है। यह हमें प्राकृतिक दुनिया में संचार की सीमाओं पर पुनर्विचार करने के लिए आमंत्रित करता है और पौधों के साथ हमारे संबंधों पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है। जैसे-जैसे हम पौधों के स्वरों को समझने में गहराई से उतरते हैं, हम पारिस्थितिक तंत्र के भीतर जटिलता की परतों को उजागर करते हैं, जो सभी जीवित प्राणियों के अंतर्संबंध को रेखांकित करते हैं।
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