सूरजपुर : छत्तीसगढ़ का यह पहला केस नही है जिसमें परिजन पीड़िता या लांश को खाट पर लेटा कर कोशो दूर का सफऱ करते है इसके बाद भी यहां के स्वास्थ्य विभाग में कोई सुधार नहीं हैं। छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य संबधी सेवाएओं को लेकर जो लाचारी है उसके एक नहीं कई मामले सामने आ हैं। इन लाचारी की कीमत सबसे ज्यादा ग्रामीणों को चुकाने पड़ती है क्योंकि मुसिबत पड़ने पर तो सरकार आँख बंद कर बैठ जाती हैं।
सूरजपुर जिले के रामानुजनगर ब्लॉक में अस्पताल प्रबंधक के असंवेदनशीलता के कारण ग्रामीणों को पोस्टमॉर्टम के बाद शव को खाट पर ले जाना पड़ा। ग्राम पंपानगर निवासी 60 वर्षीय बुधन केवट के पिता घुरन केवट ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। पोस्टमॉर्टम के लिए लाश को ब्लॉक मुख्यालय लाए थे, लेकिन शव परिक्षण की व्यवस्था ना होने की वजह से छिंदिया नाले के किनारे खुले में मृतक का पोस्टमॉर्टम किया गया। एम्बुलेंस की सेवा ना देने के कारण परिजनों ने शव को खाट पर लेकर लगभग 6 किमी तक चले।
स्वास्थ्य विभाग अफसरों का तर्क भी सुनकर लोग हैरत में पड़ गए। बीएमओ एस बी सिंह ने कहा कि पोस्टमॉर्टम के बाद हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होती है। परिजन को 1099 डायल कर वाहन बुला लेना चाहिए था। उनका कहना है कि अस्पताल प्रबंधन को शव वाहन जैसी सुविधाओं से लेना-देना नहीं है।