कैप्टन कालिया को दी गयी यातनाओ का मामला गंभीर है : सुषमा
कैप्टन कालिया को दी गयी यातनाओ का मामला गंभीर है : सुषमा
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नई दिल्ली : ​ कारगिल के शहीद के साथ पाकिस्तान सरकार के कड़े व्यवहार की हर जगह निंदा हो रही है. भारतीय कैप्टेन कालिया को पाकिस्तान सरकार ने जिस तरह की यातनाएँ दी थी उसको लेकर जनता में आक्रोश है और अब ये आक्रोश अपना काम करता भी दिख रहा है. सरकार ने इशारा किया है कि पाकिस्तान के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए मामला अंतराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाया सकता है.विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उदयपुर में बताया भूतपूर्व सरकार और हमारी सरकार ने मिल कर इस बारे में विवेचन किया है.

सुषमा ने भारतीय कैप्टन कालिया को दी गयी यातनाओ के मामले को गंभीर और असाधारण बताया. मामले की गंभीरता के कारण भारत सरकार ने ये निर्णय लिया है सरकार सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दायर करेगी.सरकार यह भी जानकारी एकत्रित कर रही ऐसे की क्या ऐसा कोई प्रावधान है जिसके तहत इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुचाया जा सकता है. अगर ऐसा संभव है तो भारत सरकार इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में लेकर जायेगी.

कैप्टन कालिया और पांच अन्य सैनिक 15 मई 1999 को करगिल के कासकर इलाके में गश्त कर रहे थे. ड्यूटी के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया था. उन्हें वहा बंधक बना कर रखा गया. पाकिस्तान सरकार ने कैप्टेन कालिया व अन्य 5 सैनिको को कई तरह से प्रताड़ित किया और उन्हें कई कष्टकारी यातनाओ को भी सहना पड़ा. उनके साथ किये गए इस कड़े व्यवहार से पूरा राष्ट्र रोष में है और देशवासियो की मांग है इस मामलो को गंभीरता से लेकर पाकिस्तान को करारा जवाब दे.

कैप्टन कालिया साथ पाकिस्तान बेहद ही जर्जर व्यवहार किया गया.भारत के शूरवीर को बंदी बना कर उसके कान के परदे को गर्म सलाखों से छेद डाला था,उनकी आंखें फोड़ दी गई थी यही नहीं उनके शरीर के अंगों को तथा लिंग को भी काट डाला गया था.उनके अधिकांश दांत और हडि्डयां तोड़ डाली गई थी. शहीद सैनिक के पिता एनके कालिया ने 2012 में उच्चतम न्यायालय की तरफ अपना रुख किया और इस पूरे मामले में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की जांच की मांग की थी.

सरकार ने पहले इस मामले में ढील बरतते हुए कहा था कि इस मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय  में जाना संभव नहीं है. सरकार की इतने गंभीर मामले पर उदासीन रवैये को देख कर देश भर में आलोचनाओ और विरोध का स्वर तेज होने लगा.सरकार को हर तरफ से बुराई का सामना करना पड़ा.वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने मामले के बारे में जानकरी देते हुए कहा कि कारगिल शहीद कैप्टन कालिया के परिवार की ओर से दायर मुकदमे के मामले में सरकार ने राष्ट्रमंडल के प्रावधानों के तहत पारंपरिक रुख अपनाया है. यदि कानून में ऐसे प्रावधान हुए की इस मामले में अंतराष्ट्रीय स्तर पर ले जाया सकता है तो सरकार अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का द्वार जरूर खटखटाएगी.

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