उल्लू दे सकता है कई फायदे तांत्रिक करते हैं इसे और अधिक पसंद
उल्लू दे सकता है कई फायदे तांत्रिक करते हैं इसे और अधिक पसंद
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आमतौर पर उल्लू की आवाज और अपने घर, प्रतिष्ठान, खेत इत्यादि के आसपास उल्लू की मौजूदगी कोई पसंद नहीं करता। उल्लू को तांत्रिक सर्वाधिक पसंद करते हैं। उनका ऐसा मानना है कि उसकी बलि इत्यादि से उन्हें कई सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं। तंत्र में उल्लू के रक्त, मल, मूत्र, हृदय, नेत्र, पंख, नख आदि अंगों के अलग-अलग उपयोग हैं। प्राचीनकाल में कथित तौर पर तांत्रिक क्रियाओं में उल्लू सर्वाधिक पक्षी माना गया और उसकी विविध उपयोगिताओं पर विस्तृत ग्रंथ ‘उलूक कल्प’ लिखा गया।

उल्लू को लेकर भारत में तरह-तरह के विश्वास प्रचलित हैं। इनमें से कुछ अशुभ माने गए हैं, कुछ मंगलकारी।
 
प्रात:काल पूर्व दिशा में वृक्ष पर बैठे उल्लू को बोलते हुए देखना धन की प्राप्ति का संकेत है।
 
यदि पश्चिम दिशा में पेड़ पर बैठकर बोल रहे उल्लू पर नजर पड़ जाए तो यह धन की हानि होने की सूचना है।
 
अगर उल्लू उत्तर दिशा में बैठा बोलता दिखे तो मृत्यु, दुर्घटना या बीमारी का संकेत है।
 
दक्षिण दिशा में प्रात: उल्लू को देखना सुनना शत्रु हानि, धन लाभ जैसे शुभ का सूचक है।
 
रात्रि में उल्लू की आवाज यदि पूर्व दिशा से आ रही हो तो माना जाता है कि कल्याणकारी है और अगर पश्चिम, उत्तर या दक्षिण दिशा से आए तो किसी परेशानी की पूर्व सूचना है।
 
यदि प्रस्थान के समय उल्लू दाईं ओर दिखे तो यात्रा के निष्फल होने की आशंका होती है।
 
कहीं जाते समय पीठ पीछे उल्लू  हो तो यात्रा सफल होगी ऐसा माना जाता है।
 
किसी मकान पर उल्लू का कई दिन तक आ-आकर बैठना उस घर में किसी अनिष्ट की प्रबल आशंका का संकेत है।
 
किसी पेड़ पर उल्लू का आकर नियमित बैठना और बोलना उस पेड़ या क्षेत्र के लिए अनिष्ट का सूचक है। 

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