चाइनीज़ पटाखो पर प्रतिबंध के बाद भी नहीं चमक पाया घरेलू पटाखा उद्योग
चाइनीज़ पटाखो पर प्रतिबंध के बाद भी नहीं चमक पाया घरेलू पटाखा उद्योग
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पटाखों का गैरकानूनी रूप से निर्माण और बिक्री पर कड़े प्रतिबंध के साथ ही चीन द्वारा निर्मित पटाखों पर पाबंदी के बाद भी इस दिवाली पर स्वदेशी पटाखा निर्माण उद्योग में रौनक दिखाई नही दे रही है। इस बात का दावा उद्योग मंडल एसोचेम के ताजा सर्वेक्षण द्वारा किया गया है। 

एसोचेम की ओर से भारत में पटाखा उद्योग हब के नाम से जानेमाने शिवकाशी सहित 10 बड़े शहरों में तक़रीबन 250 पटाखा निर्माताओं और थोक व खुदरा विक्रेताओं को दायरे में लेकर कराए गए रिसर्च के अनुसार गैरकानूनी रूप से पटाखे बनाने और उन्हें बेचने वालों पर नकेल कसने के लिए धरपकड़ व चीन से आयात किए जाने वालो पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी घरेलू पटाखा निर्माण उद्योग को उम्मीद के मुताबिक सफल नतीजे नहीं मिल सके हैं।

सर्वे के अनुसार मार्केट में अभी भी चीनी पटाखों का बड़ा स्टाक लगा हुआ है जिससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है की जमाखोरों की मदद से अवैध रूप से बेचा जा रहा है। अभी तक देखने को मिला है की पटाखों की मांग में 35 से 40 फीसद तक की भारी गिरावट आई है। साथ ही अवैध रूप से चीनी पटाखों के आयात के कारण भारतीय पटाखा उद्योग को करीब एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

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