नितिन गडकरी ने दिया बड़ा बयान, कहा- पेट्रोल-डीजल वाहनों पर रोक की जरूरत नहीं
नितिन गडकरी ने दिया बड़ा बयान, कहा- पेट्रोल-डीजल वाहनों पर रोक की जरूरत नहीं
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एक और राहत वाली खबर पेट्रोल और डीजल वाहन निर्माताओं को लेकर आई है. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल और डीजल वाहनों पर रोक लगाने की कोई जरूरत नहीं है. इलेक्ट्रिक वाहनों की लोकप्रियता बढ़ने के क्रम में अन्य ईंधन विकल्प वाले वाहन अपने आप कम होते जाएंगे. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों में ऊर्जा कुशलता पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा, "मैं हमेशा इलेक्ट्रिक कारों, बाइक और बसों की बात करता रहा हूं. अब इनका उत्पादन स्वाभाविक रूप से शुरू हो गया है. इसलिए इसे अनिवार्य करने की कोई जरूरत नहीं है. इसी प्रकार पेट्रोल, डीजल वाहनों पर रोक लगाने की भी कोई आवश्यकता नहीं है. अगले दो वर्षो में सभी बसें या तो इलेक्ट्रिक, या बायो एथनॉल तथा सीएनजी पर चलने लगेंगी." आइए जानते है पूरी जानकारी विस्तार से 

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अपने बयान को सबके साथ सांझा करते हुए गडकरी ने कहा कि यदि हम वाहन को बिजली पर चलाएं यह डीजल के मुकाबले एक-चौथाई खर्च पर चलेगा. गडकरी ने कहा, "ऑटोमोबाइल उद्योग के साथ हुई एक बैठक में मैंने जब ये कहा कि मैं देश में धुआं छोड़ने वाली मशीनों पर पाबंदी लगा दूंगा तो बहुत सारे लोग घबरा गए." परंतु अब हमारे पास जर्मनी से आयातित प्लास्टिक के सिलेंडर हैं जो एलएनजी की लागत 50 फीसद और सीएनजी की 40 फीसद घटा सकते हैं.गडकरी ने पुआल या पराली को स्वच्छ ईंधन में बदलकर उससे बिजली पैदा करने तथा वाहन चलाने के लिए तकनीक के इस्तेमाल की भी चर्चा की. अभी किसान धान की फसल काटने के बाद पराली को खेतों में ही जला देते हैं जिससे भारी वायु व मृदा प्रदूषण होता है. परंतु अब सरकार ने एनटीपीसी जैसी कंपनियों के माध्यम से पराली को खरीदकर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाने और फिर बिजली संयंत्रों में उनका इस्तेमाल ईंधन के तौर पर करना शुरू कर दिया है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे​ कि भारत में सभी मशीनों की ऊर्जा कुशलता के मानक तय करने की जरूरत बताते हुए गडकरी ने कहा भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) को ऐसी मशीनों को आइएसआइ चिह्न् नहीं प्रदान करना चाहिए जो ऊर्जा खपत के मानकों पर खरी न उतरती हों.इससे हमारी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में बढ़ोतरी होगी. सम्मेलन में मौजूद ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि नई बिजली दरों की नई नीति तैयार हो गई है जिसे कैबिनेट को मंजूरी के लिए भेजा गया है. इससे एक क्षेत्र में कम दरों की भरपाई दूसरे क्षेत्र में दरें बढ़ाकर करने (क्रॉस सब्सिडी) से समस्याओं का समाधान होगा. नई नीति में कचरे से बिजली बनाने वाली कंपनियों से बिजली खरीदना अनिवार्य किया गया है. इन्हें ‘हर हालत में चलाए जाने वाले संयंत्रों’ (मस्ट रन) की श्रेणी में रखा गया है.सम्मेलन में मंत्रियों ने ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी द्वारा एमएसएमई ऊर्जा संरक्षण के लिए निर्धारित दिशानिर्देशों के अलावा ‘सिद्धि’ नामक मैनेजमेंट पोर्टल को भी पेश किया गया है.

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