MOTHER'S DAY : माँ की अच्छाइयों के बारे में लिखू तो शायद इस दुनिया की स्याही कम पड़ जाये
MOTHER'S DAY : माँ की अच्छाइयों के बारे में लिखू तो शायद इस दुनिया की स्याही कम पड़ जाये
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माँ.....संसार को वो अनोखा शब्द जिससे सुनने और कहने के बाद मन को जो शांति होती है वह दुनिया के किसी कोने में नहीं. ये वो शब्द है जिससे सुनने के बाद एक माँ की आंखे भर आती है तो वहीं बगैर माँ का बच्चा किसी को अपनी माँ बोलने के लिए तरसता है. माँ वो है जिसके होने का अहसास कभी नहीं होता लेकिन न होने का बहुत होता है. माँ वो है जो बगैर बोले हमारी ख़ामोशी समझ जाती है, माँ वो है जो हमारे बिन कहे हमारे होंठो को पढ़ लेती है.

न जाने वो कैसे हमारी हर बात को बिन कहे समझ जाती है, न जाने वो कैसे हमारी आँखों में ख़ुशी और गम के आंसुओं को परख लेती है. न जाने कैसे वो उन पलों को समझ जाती है कि उसके बच्चे मुसीबत में है, न जाने वो कैसे अहसास कर लेती है कि उससे दूर उसके बच्चे अभी तक भूखे है. और अगर बात करू मैं मेरी माँ के बारे में तो वो एक ऐसी माँ है, जिसे जमाने ने कहा कि गांव से दूर शहर बेटी को पढ़ने के लिए मत भेजो लेकिन वो जानती थी कि उसकी बेटी क्या चाहती है, उन्होंने बगैर किसी की परवाह किये, सास ससुर के ताने सुनकर मुझे बाहर भेज दिया पढ़ने के लिए..

जंहा में तो अपने सपनों की उड़ान भरने आ गई थी लेकिन उसे जमाने ने कोस-कोस कर अधमरा कर दिया था लेकिन उसको विश्वास था मुझ पर कि मैं कभी ऐसा कोई काम नहीं करुँगी जिससे उसके दामन पर दाग लगे, मैंने भी वैसा ही किया. घर में पैसे नहीं होते थे मुझे देने के लिए पर उन्होंने मुझे ये कभी अहसास नहीं होने दिया. लेकिन में सब समझती थी पर खामोश रहती थी में देखती थी कि माँ कैसे किसी से उधार पैसे लेकर मेरे हाथ में रखकर कहती थी और जरुरत है तो बोल देना भिजवा देंगे, उस दौरान मेरी आँखों में आंसू रहते थे लेकिन मैं इतनी बदनसीब थी कि माँ के सामने उन आंसुओं को छलका भी नहीं पाती थी. माँ ने मुझे बेटी होने का सही मतलब समझाया, माँ ने मुझे खुद से रूबरू करवाया कि मैं क्या हूँ.

जब घर परिवार और दूसरे लोगों ने माँ को मेरे जींस पहनने की शिकायत की तो वो मुस्कुराकर ये बोल देती है कि उसके लिबास से ज्यादा उसका मन सूंदर है जिस दिन ये बात आप समझ जायेंगे उस दिन शायद आप अपनी बेटी को मेरी बेटी से भी ज्यादा आज़ादी देने लगेंगे. जब ये छोटे-छोटे वाकिया होते थे तो मैं एकटुक अपनी माँ को देखती रहती थी और सोचती थी कि माँ न होती तो मैं शायद ही कभी आजाद पंछी बन पाती.

आज माँ ने मुझे उस शिखर पर लाकर खड़ा कर दिया है जंहा में अपने छोटे से गांव की गलियों में जींस पहनकर निकलती हूँ तो लोग मुझे बुरी नजरों से नहीं बल्कि सम्मान से देखते है. मैंने अभी तक मेरी ज़िंदगी में ऐसा कुछ हासिल नहीं किया लेकिन आज मेरे गांव के लोग मुझे देखकर अपनी बेटियों को शहर पढ़ाने की बात करते है. माँ.... तू है तो में हूँ..वरना कुछ नहीं...तूने मुझे जन्म देकर मुझे पर वो अहसान कर दिया जिसे में अगले सात जन्मों तक नहीं उतार सकती..अगर में तेरी अच्छाइयों के बारे में लिखू तो शायद इस दुनिया की स्याही कम पड़ जाये पर तेरी अच्छाइयां नहीं.... HAPPY MOTHER'S DAY.... Love You so much Maa.....

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