राइट टू इनफार्मेशन एक्ट (RTI) के तहत मोदी सरकार को लेकर एक बड़ा और चौकानें वाला खुलासा हुआ है. आरटीआई में खुलासा हुआ है कि पिछले चार सालों में मोदी सरकार ने विभिन्न मीडिया एजेंसी के माध्यम से केवल प्रचार प्रसार और विज्ञापनों में 4,343.26 करोड़ रुपये खर्च कर दिए. मुंबई के एक आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली ने केंद्र सरकार के ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (बीओसी) से मौजूदा सरकार द्वारा बीते चार सालों में मीडिया को विज्ञापन और प्रचार के लिए दी गई राशि के विवरण माँगा था. इसके आंकड़ों के अनुसार, जून 2014 से मार्च 2015 तक मोदी सरकार ने प्रिंट मीडिया में प्रचार के लिए 424.85 करोड़ रुपये, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 448.97 करोड़ रुपये और आउटडोर प्रचार पर 79.72 करोड़ रुपये खर्च किए. कुल मिलाकर देखें तो यह राशि 953.54 करोड़ रुपये होती है.
अगले वित्त वर्ष 2015-2016 में प्रिंट मीडिया पर 510.69 करोड़ रुपये, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 541.99 करोड़ रुपये और आउटडोर प्रचार पर 118.43 करोड़ रुपये खर्च किए गए. यह राशि 1,171.11 करोड़ रुपये होती है. वहीं बात की जाए 2016-17 की तो इस दौरान मोदी सरकार ने प्रिंट पर 463.38 करोड़ रुपये, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 613.78 करोड़ रुपये और आउटडोर मीडिया पर 185.99 करोड़ रुपये खर्च किए गए. कुल मिलाकर यह राशि 1,263.15 करोड़ रुपये होती है.
इसके अलावा केंद्र सरकार ने अप्रैल 2017 से मार्च 2018 तक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 475.13 करोड़ रुपये और आउटडोर मीडिया पर 147.10 करोड़ रुपये खर्च किए. हालांकि यहां एक ध्यान देनी वाली बात यह भी है कि अप्रैल-दिसंबर 2017 के दौरान सरकार ने सिर्फ प्रिंट मीडिया पर 333.23 करोड़ रुपये खर्च किए जबकि पिछले वित्त वर्ष (अप्रैल 2017-मार्च 2018) के बीच कुल 955.46 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
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