रहे सचेत, मोबाईल पर हो रही है आपकी हर बात रिकार्ड
रहे सचेत, मोबाईल पर हो रही है आपकी हर बात रिकार्ड
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किसी दूसरे को अपना मोबाइल दें तो सबसे महत्वपूर्ण बात का रखे ध्यान कि उसमें से आपकी निजी रिकॉर्ड बातचीत को हटा लें अन्यथा आपके कोई निहायती निजी पल भी किसी दूसरे के सामने आ सकते हैं और कोई ऎसी बात भी उजागर हो सकती है, जो आपको बदनाम कर सकती है। इसलिए सावधान रहे क्योकि नि:शुल्क 'एप' की बदौलत अब मोबाईल पर किसी की भी बातचीत को रिकार्ड करना आसान हो गया है. मोबाइल उपयोगकर्ता चाहे या न चाहे इस 'एप' के डाउनलोड करने के बाद हर बातचीत स्वत: ही रिकॉर्ड होगी। ध्यान रखें, किसी दूसरे को मोबाइल दें तो उसमें से रिकॉर्ड बातचीत को हटा लें, नहीं तो आपकी कोई निहायती निजी पल भी किसी दूसरे के सामने आ सकते हैं और कोई ऎसी बात भी उजागर हो सकती है, जो आपको बदनाम कर सकती है। क्योंकि इन रिकॉर्डिग को सीधे सोशल मीडिया पर लिंक करके वायरल करना बेहद आसान है। ऎसे में निजता भंग होने की आशंका बनी रहती है। अगर पुलिस व सुरक्षा एजेंसी और सरकारी विभाग किसी शख्स की रिकॉर्डिग करना चाहते हैं तो उसके लिए उन्हें गृह विभाग से इसके लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। तभी वह उसका कानूनी रूप से उपयोग कर सकते हैं। खबर के अनुसार जब तक किसी रिकॉर्डिग में आपराधिक मंशा जाहिर नहीं होती, तब तक कानूनी कार्रवाई संभव नहीं है। ऎसे मामलों में पुलिस के पास सीधे कानूनी कार्रवाई का अधिकार नहीं है। बदनामी होने पर पीडित मानहानि का दावा जरूर कर सकता है।

क्राइम ब्रांच के अति. पुलिस आयुक्त ने कहा की अगर रिकॉर्डिग में धमकी दी गई है या फिर अश्लील मैसेज और क्लिपिंग होने पर पुलिस थाने में इसकी शिकायत की जा सकती है। कई बार कांट-छांट कर रिकॉर्डिग में शब्द जोड़ दिए जाते हैं। इसलिए प्रयोगशाला में उसकी वैधता की भी पुष्टि करवाई जाएगी। पुलिस जांच में अपराध सिद्ध होने पर ऎसे व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इस मुद्दे पर एक केस के तहत : जयपुर कमिश्नरेट के एक एसएचओ हाल में तबादले के बाद छुट्टी पर चले गए। इस बीच उन्हें पता चला कि एक एएसआई उनके तबादले को लेकर खुश है। एसएचओ ने तुरंत एएसआई को फोन कर कहा कि तू बड़ा खुश हो रहा है। तबादले तो होते रहते हैं, लेकिन बात संभलकर करनी चाहिए। एएसआई के मोबाइल पर एसएचओ की यह बात रिकॉर्ड हो गई। बाद में यह वायरल कर दी गई। पुलिस अफसरों ने इसे गंभीर माना। 

इस मुद्दे पर दूसरे केस के तहत: खो नागोरियान थाना क्षेत्र के एक घर में कुछ पुलिसकर्मी पहुंचे और महिलाओं से खाली कागज पर हस्ताक्षर करवा लिए। जब यह बात परिवार के एक सदस्य ने पुलिसकर्मी से मोबाइल पर बात की तो पता चला कि उसे जेके लोन अस्पताल के चिकित्सकों ने भेजा है। जब अस्पताल प्रबंधन से बात की गई तो उन्होंने भेजने की बात से मना कर दिया। बाद में दोनों की मोबाईल रिकॉडिंग से हुई बात से आमना-सामना कराया तो सच्चाई सामने आ गई। 

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