भारत में होने वाला यह पौधा अनेक रोगों के निवारण के लिए उपयोग में लाया जाता है. इनके पत्ते को छूने पर ये सिकुड़ कर आपस में सट जाती है. इसके गुलाबी फूल बहुत सुन्दर लगते हैं और पत्ते तो छूते ही मुरझा जाते हैं . इसे लाजवंती भी कहते हैं .
लाजवंती के फायदे -
1-स्तन में गाँठ या कैंसर की सम्भावना हो तो , लाजवंती की जड़ और अश्वगंधा की जड़ घिसकर लगाएँ .
2-हृदय या किडनी बढ़ गए हैं, उन्हें चोट करना है , तो इस पौधे को पूरा सुखाकर , इसके पाँचों अंगों फूल, पत्ते, छाल, बीज और जड़) का 5 ग्राम 400 ग्राम पानी में उबालें . जब रह जाए एक चोथाई, तो सवेरे खाली पेट पी लें.
3-हड्डियों के टूटने और मांस-पेशियों के आंतरिक घावों के उपचार में लाजवंती की जड़ें काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं. घावों को जल्दी ठीक करने में इसकी जड़ें सक्रियता से कार्य करती हैं.
4-यदि लाजवंती की 100 ग्राम पत्तियों को 300 मिली पानी में डालकर काढ़ा बनाया जाए और इसे डायबिटीज रोगी को दिया जाए तो डायबिटीज में काफी फायदा होता है.
5-यूट्रेस में कोई विकार है तो , इसके एक ग्राम बीज सवेरे खाली पेट लें.