दुनिया को शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिन क्रिसमस से ठीक पहले चर्च के सदस्य और यूथ के लोग घर-घर जा कर यीशु के जन्म की खुशियां मानते है. इसदिन वे प्रभु यीशु के आगमन पर आधारित गीत से पूरी शाम को सजा देते है. इसे ही कैरोल कहते है, कैरोल एक तरह से यीशु के जन्म के गीतों को गण होता है.
चर्च का ही एक सदस्य सांताक्लॉज के भेष में ग्रुप के साथ ही आता है. कैरोल ग्रुप के मेम्बर भी रेड कलर की टोपी लगा कर आते है. गाने बजने का ये कर्यक्रम पूरी रात चलता है. दिसंबर की ठण्ड में ये लोग चर्च के सभी सदस्यों के घर जाते है. जिस चर्च के सदस्य जायदा होते है तो फिर कैरोल तीन या चार दिनों के लिए निकलता है.
कैरोल हमेशा रात को ही निकालते है. क्योंकि इस समय घर का हर व्यक्ति उपस्थित होता है. करोल ग्रुप में गाने वालो के साथ बजाते वाले भी होते है. जो अपने म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स अपने साथ लेकर आते है. गाने बजने के बाद ये लोग घर के सदस्यों की खुशहाली के लिए प्रार्थना करते है. इनके आने से खुशनुमा माहौल बन जाता है.
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