80 साल की उम्र में दादी कर रहीं हैं ऐसा काम कि जानकर सलाम करेंगे आप
80 साल की उम्र में दादी कर रहीं हैं ऐसा काम कि जानकर सलाम करेंगे आप
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अपने लिए इंसान सब कुछ कर जाता है लेकिन जब बात दूसरों की आती है तो इंसान पीछे हट जाता है। यह आज की दुनिया का उसूल है कि अपने लिए इंसान दुनिया से लड़ जाता है लेकिन दूसरों के लिए वह खुद एक बुरा इंसान बन जाता है और उन्हें खाने के लिए दौड़ता है। आज के समय में व्यक्ति को केवल खुद से मतलब है दुनिया से नहीं, अगर किसी के सामने कोई किसी को मार भी रहा होगा तो वह वहां से आगे निकल जाता है या फिर वीडियो बनाने लगता है क्योंकि उसे क़ानूनी मामलों में, या अन्य किसी मामलों में नहीं पड़ना है। लेकिन इन सभी से परे दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो दूसरों की मदद कर अपने आपको धन्य मानते हैं और उनकी मदद के लिए कुछ भी कर जाते हैं।

आज हम जिनकी बात कर रहे हैं उनकी उम्र जानकर आप सभी को हैरानी होगी और उनके किए गए काम को सुनकर आपको आश्चर्य होगा। आज व्यक्ति जवान होकर भी दूसरों के लिए मदद को आगे नहीं आता लेकिन जिस महिला के बारे में हम बात कर रहे हैं उनकी उम्र 80 साल है और 80 साल की उम्र में यह दादी हर दिन सुबह 4 बजे उठ जाती हैं। दादी का नाम कमलाथल है जो हर दिन सुबह 4 बजे उठकर 1000 से कहीं अधिक इडली बनाती है वह भी अपने या अपने घरवालों के लिए नहीं बल्कि उन गरीबों के लिए जो भूखे पेट सो जाते हैं या अधिक कीमत होने के कारण खाने के लिए कुछ खरीद नहीं पाते हैं। जी दरसल यह दादी अपनी बनाई इडली को मात्र 1 रुपए में बेचती हैं और यह काम उन्होंने अभी से नहीं बल्कि पिछले 30 सालों से जारी रखा है। दादी ऐसा करने के बाद एक दिन में 600 रुपए कमा लेती हैं। कमलाथल तमिलनाडु के कोयंबटूर ज़िले में रहती हैं।

दादी इस काम के लिए कह चुकीं हैं कि 'वह तब तक यह काम करेंगी जब तक जीवित रहेंगी।' आपको बता दें कि ये मामला सामने आने के बाद सरकार ने कमलाथल अम्मा के लिए एलपीजी कनेक्शन जारी कर दिया और इस बात के लिए आनंद महिंद्रा तक ने सरकार का शुक्रिया अदा किया है। इस तरह की ममता और प्यार को हम सलाम करते हैं जो आज भी यहाँ देखने को मिल रहा है वरना आज की दुनिया में ऐसे लोग कहाँ मिलते हैं जो ऐसे किसी की मदद के लिए काम करें। दादी का सुबह 4 बजे उठकर इडली बनाना हम सभी के लिए एक प्रेरणा है हमे गर्व है दादी पर जो अपने अलावा उनके लिए सोचती हैं जो उनके अपने नहीं है। अगर इस तरह के लोग दुनिया में होंगे तो भारत को दयालुता की मिसाल बनने में समय नहीं लगेगा। हमे गर्व है कि हमारे देश में कुछ लोग ऐसे हैं जो दूसरों के लिए इतना सोचते हैं और उनकी मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं। ये एक पहल है जो दादी ने की है और उनकी पहल को हम सलाम करते हैं।

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