चीन ने कहा
चीन ने कहा "मैकमोहन रेखा अवैध"
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नई दिल्ली : भारत-चीन सीमा रेखा मैकमोहन के अवैध बताए जाने की बात पर चीन अडिग है. चीन ने कहा कि सीमा मुद्दे के तत्काल हल के लिए वह भारत के साथ काम करने को तैयार है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन-भारत सीमा के पूर्वी खंड पर बीजिंग एक सतत और स्पष्ट रूख रखता है. उन्होंने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे को दोहराते हुए यह कहा, जिसे वह दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है. हाल ही में नई दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की एक टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘चीन सरकार मैकमोहन रेखा को मान्यता नहीं देती, जो अवैध है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘चीन तत्काल दोस्ताना विचार-विमर्श के जरिए सीमा विवाद का हल करने के लिए भारत के साथ काम करने को और आपसी संबंधों के विकास के लिए अधिक अनुकूल हालात बनाने के लिए तैयार है.’’ गौरतलब है कि अपने संबोधन में 22 मई को डोभाल ने कहा कि था कि सीमा विवाद का हल भारत-चीन संबंधों के लिए अहम है और सभी पेचीदा विषयों के हल के लिए एक अधिक बड़ी योजना की अपील की. चीन-भारत सीमा वार्ता पर डोभाल विशेष प्रतनिधि भी हैं. उन्होंने कहा था कि चीन के साथ संबंध आगे बढ़ रहे हैं, ‘‘हम विशेष रूप से पूर्वी सेक्टर के बारे में चिंतित हैं जहां तवांग (अरुणाचल प्रदेश) पर दावा किया गया है जो पूरी तरह से स्वीकार्य सिद्धांतों के प्रतिकूल है.’’

1914 के शिमला समझौते के तहत इस रेखा का नामकरण सर हेनरी मैकमोहन के नाम पर किया गया था जो ब्रिटिश शासित भारत सरकार के विदेश सचिव थे और चीन के साथ विवाद निपटाने में मुख्य वार्ताकार थे. डोभाल ने कहा था, ‘‘हमारी सीमा बहुत लंबी है. हमारी 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा हैं, एक बहुत दुर्गम और पर्वतीय क्षेत्र बर्फ से ढंका हुआ है...अब चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों के लिए, सीमा अहम और मुख्य मुद्दा है.’’ हुआ ने डोभाल के बयान का सावधानी से जवाब देते हुए कहा कि चीन मैकमोहन रेखा को बर्मा (म्यामांर) के मामले में मान्यता देता है लेकिन भारतीय सीमा के मामले में नहीं.

उन्होंने कहा, ‘‘चीन-भारत सीमा मुद्दे को हल करना आसान नहीं है क्योंकि यह मुद्दा इतिहास की देन है.’’ विवाद के हल के लिए भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच अब तक की 18 दौर की वार्ता ने अहम प्रगति की है, चीन-भारत संबंधों की वृद्धि के लिए निरंतर और स्थिर ठोस बुनियाद रखी है. हुआ ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों ने विशेष प्रतिनिधियों की बैठक की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के जरिए एक निष्पक्ष, तार्किक और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य हल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

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