हर शादीशुदा महिला को भारतीय संविधान में मिले ये 6 राईट
हर शादीशुदा महिला को भारतीय संविधान में मिले ये 6 राईट
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शायद आपको पता ना हो लेकिन महिला उत्पीडन के मामले में घरेलु हिंसा के मामले सबसे अधिक है. ऐसा अक्सर इसलिए होता है क्योंकि बहुत सी महिलाओ को अपने अधिकारों की जानकारी नहीं होती है. इसी वजह से वह अपने पति या ससुराल वालो के अत्याधर की शिकार होती है.

भारतीय सविंधान में शादीशुदा महिलाओ को कुछ ऐसे ही अधिकार दिए है. ये अधिकार हर महिला को पता होना चाहिए. ताकि वह ज़रूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल कर खुद के साथ होने वाले अत्याचारो से मुक्ति पा सके.

राईट टू स्त्रीधन: शादी में या शादी के बाद मिलने वाले सभी उपहारों धनराशि पर केवल पत्नी का हक़ होता है. भले ही ये धन या उपहार महिला के पति या ससुराल वालो के पास हो. लेकिन उस पर हक़ महिला का ही होगा.

राईट टू रेजिडेंस: घर चाहे खुद का हो या किराये का जहाँ पति रहता है हर महिला को शादी के बाद उसी घर में पति के साथ रहने का हक़ है.

राईट टू अ कमिटेड रिलेशनशिप: अगर कोई हिन्दू पुरुष शादी के बाद किसी और महिला के साथ के साथ सम्बन्ध रखता है तो उसकी पत्नी अपने पति पर अडलट्री का चार्ज लगा डिवोर्स फाइल कर सकती है.

राईट टू डिग्निटी एंड सेल्फ रिस्पेक्ट: हर महिला को शादी के बाद अपने पातु और ससुराल वालो की तरह लाइफ स्टाइल जीने का हक़ होता है. साथ ही उन पर किसी भी तरह का मेन्टल या फिजिकल प्रेशर नहीं किया जा सकता है.

राईट टू मेंटेनेंस बाइ हस्बैंड: हर शादीशुदा महिला अपने पति के लिविंग स्टैण्डर्ड को मैच करने के साथ ही अपने आधारभूत ज़रूरतों को पूरा करवाने का हक़ भी रखती है.

राईट टू चाइल्ड मेंटेनेंस: है बच्चे की पूरी जिम्मेदारी पति और पत्नी साथ मिल कर निभाते है. साथ ही अगर महिला के पास कमाई को कोई जरिया नहीं है तो ऐसे में पति को हर संभव आर्थिक मदद करनी होगी. 

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