'शादीशुदा मुस्लिम महिला का दूसरे मर्द संग लिव-इन में रहना ‘जिना’ और ‘हराम’', इलाहाबाद HC ने की टिप्पणी
'शादीशुदा मुस्लिम महिला का दूसरे मर्द संग लिव-इन में रहना ‘जिना’ और ‘हराम’', इलाहाबाद HC ने की टिप्पणी
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इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 26 वर्षीय एक मुस्लिम महिला की याचिका पर सुनवाई के चलते कहा- एक शादीशुदा मुस्लिम महिला के पास दूसरे व्यक्ति के साथ लिव-इन रिलेशन में रहने का अधिकार नहीं है, यदि वो ऐसा करती है तो शरीयत के अनुसार, इसे ‘जिना’ और ‘हराम’ माना जाएगा अदालत ने इतना बोलकर उसकी याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने अपने और अपने हिंदू प्रेमी के लिए सुरक्षा माँगी थी। इसके साथ ही अदालत ने उसपर 2000 रुपए का जुर्माना भी लगाया।

प्राप्त खबर के अनुसार, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जस्टिस रेणू अग्रवाल की पीठ के समक्ष 26 वर्षीय मुस्लिम महिला की याचिका गई, जो अपने हिंदू प्रेमी के साथ रहना चाहती थी, मगर उसे अपने रिश्तेदारों से जान का खतरा था। महिला ने अपनी और अपने प्रेमी की सुरक्षा की गुहार अदालत के आगे लगाई, लेकिन जस्टिस रेणू ने कहा कि शादीशुदा होते हुए महिला किसी और के साथ रह रही है। अदालत ऐसे अवैध रिश्तों को संरक्षण नहीं देता है। ऐसे आपराधिक कृत्य का समर्थन नहीं करता है। रेणू अग्रवाल की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, “प्रथम याचिकाकर्ता (मुस्लिम महिला) मुस्लिम कानून (शरियत) के प्रावधानों के विपरीत दूसरे याचिकाकर्ता के साथ रह रही है। मुस्लिम कानून में विवाहित महिला शादीशुदा जिंदगी से बाहर नहीं जा सकती, इसलिए मुस्लिम महिला के इस कृत्य को ‘जिना’ एवं ‘हराम’ के तौर पर परिभाषित किया जाता है।”

वही इस मामले में अजीबोगरीब बात ये है कि अदालत में जिस महिला को उसके शादीशुदा होने की वजह से हिंदू प्रेमी संग रहने पर सुरक्षा नहीं मिली, उसका शौहर स्वयं दूसरी बीवी के साथ रह रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, महिला के शौहर का नाम मोहसिन है। निकाह के पश्चात् महिला उसकी शराब पीने की गंदी आदत से परेशान रहती थी। वो उसके साथ बदसलूकी करता था उसे मारता था। जब इसकी शिकायत वो किसी से करती थी तो कोई उसे सहायता नहीं मिलती थी। ऐसे में महिला उसे छोड़ एक अलग आ गई तथा बाद में एक हिंदू युवक के साथ रहने लग गई। मगर शौहर ने तब भी उसका पीछा नहीं छोड़ा। वह उसे धमकी देता रहा। दूसरी तरफ महिला के परिजन भी उसे परेशान करने लगे। 

वही ऐसे में उसने अपनी सुरक्षा की गुहार अदालत में लगाई तो उसे कहा गया- महिला ने धर्म परिवर्तन के लिए संबंधित अफसर के पास कोई आवेदन नहीं किया है तथा न ही उसने अपने पति से तलाक लिया है इसलिए उसे सुरक्षा नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि 26 वर्षीय महिला अपनी 5 वर्षीय बच्ची के साथ बिना किसी उचित वजह के अपने शौहर का घर छोड़ गई थी। ऐसे दस्तावेज नहीं है कि उसने तलाक लिया। इसलिए वह अपनी भी शादीशुदा मानी जाती है। अदालत ने कहा कि वो अवैध रिश्वतों को संरक्षण नहीं देते। उन्होंने मामला खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 2000 रुपए का फाइन लगाया तथा उसे ये जुर्माना राशि 15 दिन में जमा करने को भी बोला।

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