बेटी भी है पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी की हकदार
बेटी भी है पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी की हकदार
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बिलासपुर: महिलाओं को बराबरी का अधिकार देते हुए बिलासपुर हाइ कोर्ट ने एक लैंडमार्क फैसला सुनाया है। हाइ कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी विवाहित पुत्री को भी अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जाएगी। हाइ कोर्ट में जस्टिस संजय के अग्रवाल की एकल पीठ ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि शासकीय सेवक की मृत्यु के बाद उसकी विवाहित पुत्री को अनुकम्पा नियुक्ति के योग्य माना है। 

कोर्ट का कहना है कि राज्य सरकार के नियम लिंग भेद बढ़ाने वाले और संविधान के अनुच्छेद 16(2) के तहत समानता का उल्लंघन है। अदालत ने सरकार को याचिकाकर्ता के आवेदन पर 45 दिनों में निर्णय लेने का निर्देश भी दिया है। बताया जाता हे कि जल संसाधन विभाग में महासमुंद में अमीन-पटवारी के पद पर कार्यरत जलदेव प्रधान की छह जनवरी 2011 को सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी।

उनके उपर उनकी पत्नी व दो विवाहित बेटियों की जिम्मेदारी थी। मृत्यु के बाद उनकी बेटी ने अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति लिए आवेदन प्रस्तुत किया। किंतु विभाग ने इसे ये कहते हुए खारिज कर दिया कि राज्य शासन की नीति वर्ष 2003 की कंडिका 3 (1)(सी) में ऐसा कोई प्रावधान नही है। इसके बाद उनकी बेटी सरोजिनी ने इसे न्यायालय में चुनौती देने की ठानी। याचिका में लिखा गया कि जब बेटे को इसका अधिकार है तो विवाह कर लेने मात्र से बेटी को क्यों नही।
  
सरोजनी के वकील ने इसे लिंग के आधार पर भेदभाव करने वाला और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता के अधिकार के विपरीत बताया। कोर्ट ने दोनो पक्षो की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय लिया।

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