पश्चिम बंगाल के चुनाव में दिखी नई तरह की सियासत, महापुरुष से की जा रही तुलना
पश्चिम बंगाल के चुनाव में दिखी नई तरह की सियासत, महापुरुष से की जा रही तुलना
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कोलकाताः पश्चिम बंगाल का इलेक्शन ममता के नाम पर लड़ा जा रहा है या महापुरुषों के नाम पर अब आम जनता इसी बात को लेकर असमंजस में हैं। पहले विवेकानंद, फिर रवींद्रनाथ टैगोर, उसके पश्चात् सुभाष चंद्र बोस तथा अब टीएमसी के तरकश से निकले हैं चाणक्य एवं पाणिनी के नामों के तीर। ममता हों या भाजपा बंगाल के चुनावों में दोनों की साख दांव पर है।

वही ऐसे में यदि इतिहास में गहरा उतरने की आवश्यकता भी हो तो क्या परेशानी है। तृणमूल कांग्रेस की नेता काकोली घोष महापुरुषों के नाम वाली सियासत में शायद कुछ अधिक ही गहरे उतर गईं। उन्होंने ममता की तुलना चाणक्य तथा पाणिनी से कर दी। काकोली ने कहा कि दीदी के हाथ में है चाणक्य का सुशासन है। चाणक्य ने कहा था कि सरकार को ऐसे चलाना चाहिए जहां जनता आर्थिक तौर पर समर्थ हो सकें तथा इसी सोच को वास्तविकता दी है दीदी ने। ऐसे में यह जानना सबसे आवश्यक है कि आखिर चाणक्य कौन थे?

वही अब प्रश्न ये है कि आखिर काकोली सेन ने किस बात पर ममता की तुलना चाणक्य से कर दी। इस पर टीएमसी की तीन बार से सांसद काकोली सेन का बोलना है कि ममता ने जिस प्रकार टेक्सटाइल हब, मिठाई हब, 9 किसान मंडियां, 8 प्राइवेट यूनिवर्सिटी जैसी चीजें बनाईं। ये उनकी अगुआई में किए गए कुछ ऐसे कार्य हैं जिसे चाणक्य जैसा कोई दूरदर्शी शख्स ही कर सकता है। वहीं, भाजपा काकोली घोष की बातों का मज़ाक बना रही है। भाजपा का कहना है कि प्रदेश को कर्ज़ में डुबोने के लिए चाणक्य ने कभी नहीं कहा था। अब यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि आखिर ममता की अर्थव्यवस्था क्या है। औक आर्थिक रूप से उन्होंने बीते दस वर्षों में पश्चिम बंगाल के लिए क्या क्या किया है।

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