कालो के काल करते है उज्जैन की रक्षा
कालो के काल करते है उज्जैन की रक्षा
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सनातन धर्म में कुछ भी बिना कारण के नही होता था। उज्जैन को पूरी पृथ्वी का केंद्र बिंदु माना जाता है। जो सनातन धर्म में हजारों सालों से केंद्र मानते आ रहे है, इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और ज्योतिष गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी बनाये गये है करीब 2050 वर्ष पहले। और जब करीब 100 साल पहले पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क) अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायीं गयी तो उनका मध्य भाग भी उज्जैन ही निकला। आज भी विश्व के वैज्ञानिक सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिये उज्जैन ही आते है और हिन्दू धर्म की मान्यताये पूर्णतः वैज्ञानिक आधार पर निर्मित की गयी है। बस हम उसे दुनिया में पेटेंट नही करवा सके शायद ये हमारा दुर्भाग्य  है।

उज्जैन ही नहीं, भारत के प्रमुख देवस्थानों में श्री महाकालेश्वर का मन्दिर अपना विशेष स्थान रखता है। भगवान महाकाल काल के भी अधिष्ठाता देव रहे हैं ।  पुराणों के अनुसार वे भूतभावन मृत्युंजय हैं, सनातन देवाधिदेव हैं। उज्जैन नगरी सदा से ही धर्म और आस्था की नगरी रही है। उज्जैन की मान्यता किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है. यहां पर स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पूरे विश्व में एक मात्र ऎसा ज्योतिर्लिंग है, जो दक्षिण की और मुख किये हुए है।  यह ज्योतिर्लिंग तांत्रिक कार्यो के लिए विशेष रुप से जाना जाता है. इसके अतिरिक्त इस ज्योतिर्लिग की सबसे बडी विशेषता यह है कि यह ज्योतिर्लिंग स्वयंभू है, अर्थात इसकी स्थापना अपने आप हुई है ।

इस धर्म स्थल में जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्वा और विश्वास के साथ आता है. उस व्यक्ति के आने का औचित्य अवश्य पूरा होता है. महाकाल की पूजा विशेष रुप से आयु वृ्द्धि और आयु पर आये हुए संकट को टालने के लिए की जाती है. स्वास्थय संबन्धी किसी भी प्रकार के अशुभ फल को कम करने के लिए भी महाकाल ज्योतिर्लिंग में पूजा-उपासना करना पुन्यकारी रहता है. महाकालेश्वर मंदिर के विषय में मान्यता है, कि महाकाल के भक्तो का मृ्त्यु और बीमारी का भय समाप्त हो जाता है. और उन्हें यहां आने से अभय दान मिलता है. महाकाल ज्योतिर्लिंग उज्जैन के राजा है. और वर्षों से उज्जैन कि रक्षा कर रहे है ।

कमाल की बात है महाँकाल से अन्य शिव ज्योतिर्लिंगों के बीच कैसा सम्बन्ध है मप्र के उज्जैन से भारत स्थित शेष ज्योतिर्लिंगों की दूरी कुछ इस प्रकार है ।

ओंकारेश्वर म.प्र. - 111 किमी

सोमनाथ गुजरात - 777 किमी

नागेश्वर गुजरात - 888 किमी

भीमाशंकर महाराष्ट्र - 666 किमी

त्रयंबकेश्वर महाराष्ट्र - 555 किमी

घृष्णेश्वर महाराष्ट्र - 555 किमी

काशी विश्वनाथ उ.प्र. - 999 किमी

केदारनाथ उत्तराखंड - 888 किमी

बैजनाथ झारखण्ड - 999 किमी

मल्लिकार्जुन आंध्रप्रदेश - 999 किमी

रामेश्वरम तमिलनाडु - 1999 किमी

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