आप सभी जानते ही हैं कि नवरात्र का सप्ताह आरम्भ हो चूका है. ऐसे में आज चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघण्टा स्वरुप की पूजा विधि विधान से की जाती है. आप सभी को बता दें कि नौ देवियों में से मां चंद्रघण्टा की विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति निर्भीक और वीर होता है, साथ ही उसमें विनम्रता भी आती है. तो आइए आज हम आपको बताते हैं आइए जानते हैं कि नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा की पूजा विधि कैसे की जाती है और साथ ही मुहूर्त, मंत्र. जी दरअसल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 26 मार्च दिन गुरुवार की शाम 07 बजकर 53 मिनट से हो रहा है, जो 27 मार्च दिन शुक्रवार की रात 10 बजकर 12 मिनट तक है. ऐसे में मां चंद्रघण्टा की पूजा शुक्रवार की सुबह होगी.
स्तुति मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
प्रार्थना - पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता. प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
मंत्र - 1. ओम देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
2. आह्लादकरिनी चन्द्रभूषणा हस्ते पद्मधारिणी.
घण्टा शूल हलानी देवी दुष्ट भाव विनाशिनी..
चन्द्रघण्टा बीज मंत्र - ऐं श्रीं शक्तयै नम:.
पूजा विधि - आज के दिन सूर्योदय से पूर्व मां चंद्रघण्टा की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है. जी दरअसलआप सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और इसके बाद माँ चंद्रघण्टा का स्मरण करके उनका ध्यान करें. अब उनको सिंदूर, अक्षत्, गंध, धूप, पुष्प, श्रृंगार का सामान आदि अर्पित करें. इसके बाद दूध से बने मिष्ठान या पकवान का भोग लगाना चाहिए. ध्यान रहे पूजा के दौरान ऊपर दिए गए मंत्रों का जाप करें और अब मां चंद्रघण्टा की आरती करें. इसके पश्चात आप दुर्गा चालीसा का पाठ और मां दुर्गा की आरती करें. इसी के साथ माता को लगाए गए भोग को प्रसाद स्वरूप लोगों में बाँट दें.