दो गुटों में बंटे साहित्यकार कर रहे प्रदर्शन, अकादमी में आपात बैठक आज
दो गुटों में बंटे साहित्यकार कर रहे प्रदर्शन, अकादमी में आपात बैठक आज
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नई दिल्ली : आखिरकार साहित्यकार प्रो. कलबुर्गी की हत्या से देश में निर्मित हुई अराजकता की स्थिति और अन्य बातों को लेकर साहित्यकार सड़क पर उतर आए। हाथों में विरोधी पोस्टर और अपने साथी साहित्यकार के पोस्टर लेकर साहित्यकारों ने विरोध किया। इस दौरान साहित्यकार स्वयं को प्रगतिशील कहते हुए मौन रैली में शामिल हुए। कई लोकप्रिय साहित्यकारों ने इस प्रदर्शन में भाग लिया। हालांकि विरोध प्रदर्शन में साहित्यकार दो गुटों में बंटे हुए नज़र आए। एक गुट विरोध करता रहा तो दूसरा गुट विरोध को गलत ठहरा रहा था। 

दरअसल साहित्यकारों के एक गुट ने स्वयं को प्रगतिशील कहा। जिसमें उन्होंने मौन मार्च निकाले जाने की बात कही। दूसरी ओर एक अन्य गुट ने स्वयं को राष्ट्रवादी करार देते हुए विरोधी गुट पर मोदी सरकार को हाशिए पर धकेलने के साथ बौद्धिक आतंकवाद बढ़ाने का आरोप लगाया। साहित्यकारों के इस गुट ने प्रदर्शन को गैरवाजिब भी बताया। 

मिली जानकारी के अनुसार साहित्यकारों द्वारा सरकार का विरोध और विरोध करने वाले गुट का विरोध करने के प्रदर्शन के ही साथ साहित्य अकादमी सम्मान लौटाने के उत्तर में राष्ट्रवादी विचारधारा के लेखकों ने विरोध प्रदर्शन किया। लेखकों द्वारा सम्मान लौटान के मसले पर साहित्य अकादमी की आपतकालीन बैठक आयोजित किए जाने को लेकर भी साहित्यकारों को जानकारी दी गई।

उल्लेखनीय है कि साहित्यकारों द्वारा इस मसले पर साहित्य अकादमी की बैठक का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें यह निर्णय होगा कि साहित्यकारों का पुरस्कार लौटाना सही रहा या नहीं और क्या वे अपने पुरस्कार वापस ले लें। साहित्यकारों के इस तरह से दो गुटों में बंट जाने से उनका आंदोलन कमजोर पड़ गया है। कहा जा रहा है कि कुछ साहित्यकार सम्मान लौटाए जाने के पक्ष में नहीं है तो दूसरी ओर साहित्यकारों का विरोधी गुट साहित्य अकादमी को ज्ञापन सौंपने की तैयारी कर रहा है।

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