यह बहुत ही दुःख की बात हैं कि आज की उन्नत और आधुनिक दुनिया में भी यौन शोषण के शिकार लोगो को वो इज्जत और अधिकार नहीं मिल पाता जिन के वे हकधार हैं. दुनियां उन्हें ऐसी कठोर नजरों से देखती हैं जैसे वो पीड़ित नहीं बल्कि खुद अपराधी हो. वो एक बार भी नहीं सोचते कि उनकी जिंदगी में अचानक आये इस तूफ़ान रूपी हादसे ने उन्हें निकना नुकसान पहुँचाया हैं.
जब कोई लड़की बलात्कार की शिकार होती हैं तो उसे सांत्वना देने की बजाये लोग उसकी ही बेतुकी वाली गलतियां गिनने लगते हैं. छोटे छोटे कपड़े पहन के निकलोगी तो ऐसा ही होगा. इतनी रात को पार्टी करने को किसने कहा था. अब गलती की हैं तो भुगतो और भी ना जाने क्या क्या. माँ बाप इस तरह शर्मिंदगी महसूस करते हैं, लड़की को कोसते हैं, ताने मारते हैं जैसे उसने ये सब जान भुझ कर किया हैं.
लेकिन अब बहुत हो गया. अब वक़्त है अपनी सोच को बदलने का. उन पीड़ित लोगो को एक नई जिंदगी, एक नया रास्ता दिखाने का. माँ बाप को चाहिए कि वो दुनियादारी की परवाह ना करे और बेटी के भविष्य को प्लान करे. वहीँ हम लोगो को भी ऐसे लोगो का मुह बंद करना होगा जो यौन शोषण से पीड़ित लोगो को हताश करने में और समाज से बेदखल करने में लगे रहते हैं. जब सोच बदलेगी तभी हालात बदलेंगे.