हिन्दू धर्म में देवउठनी एकादशी को बढ़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है, एकादशी के दिन व्रत, उपवास पूजा आदि बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है. इस दिन सभी लोग अपने-अपने घरों में गन्ने से एक प्यारा सा मण्डप तैयार करते है. और इस गन्ने के मंडप में तुलसी का विवाह करते है.
इस दिन तुलसी का शालिग्रामरूपी कृष्ण से विवाह कराया जाता है व इसी दिन से शुभ कार्य होने लगते है. इस दिन आप कैसा भी कार्य करें, वह शुभ और सफल ही सिद्ध होगा. इसलिए हिन्दू मान्यताओं में देवउठनी एकादशी के दिन ही अधिकतर लोग शादी-ब्याह जैसे मंगल कार्यों को करते हैं, क्योकि ऐसा कहा जाता है कि देवउठनी ग्यारस पर भगवान विष्णु के साथ अन्य देवता पाताल लोक से शयन के बाद निद्रावस्था से जागते हैं, इस कारण इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.
फिर अंत में सभी लोग गन्ने के मण्डप के आस-पास घूमकर पूजा का समापन करते है, तो आईये जानते है इस देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त क्या है. लाभ : 9.30 से 10.50 तक अमृत : 10.50 से दोपहर 12.12 तक शुभ : दोपहर 13.35 से 14.56 तक शुभ : शाम 5.42 से 19.18 तक अमृत : 19.18 से 20.56 तक
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