प्रेगनेंसी में रखे इन बातों का ध्यान, होगी नार्मल डिलीवरी
प्रेगनेंसी में रखे इन बातों का ध्यान, होगी नार्मल डिलीवरी
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बदलते लाइफस्टाल की वजह से लोग अपने खानपान अौर व्यायाम के प्रति लापरवाह हो गए है जिसके चलते प्रैग्नेंट अौरत के लिए सामान्य डिलीवरी अब ना के बराबर हो गई है। यदि आप भी प्रेग्नेंट है तो इन बातों का जरूर ध्यान रखे, अगर अाप सर्जरी के बिना नॉर्मल डिलीवरी कराना चाहती है तो इन 3 योग को अपनी लाइफ का हिस्सा बनाएं। 
 
1.बद्ध कोणासन
 
नॉर्मलि डिलीवरी कराने के लिए गर्भवती अौरतों को बद्ध कोणासन करना चाहिए। इस आसन से दर्द कम होती है।  
-जमीन पर कपड़ा बिछाकर दोनों पैरों को सामने की ओर करके बैठ जाएं। फिर दोनों घुटनों को मोड़ते हुए पैरों के पास ले आएं और दोनों पैरों के तलवें आपस में मिलाएं। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़ लें।फिर पैरों की उंगुलियों को दोनों हाथों से पकड़ लें और रीढ़ को सीधा रखें जैसे तितली आसन में बैठा जाता है। बाजू को सीधा करें और पैरों को ज्यादा से ज्यादा पास लाने की कोशिश करें ।
 
-सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर से आगे इस प्रकार झुकें कि रीढ़ और पीठ की माँसपेशियों में खिंचाव बना रहे। प्रयास करें की आपका सिर जमीन से स्पर्श हो जाए।  दो या तीन बार इस आसन को करने से मदद मिल सकती।

2.तितली आसन
 
तितली आसन को अाप गर्भावस्था के तीसरे महीने से कर सकते है| यह गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के यूटेरस की मांसपेशियों को लचीला बनाता है और कमर को मजबूत करता है।
 
-तितली आसन करने के लिए दोनों पैरों को सामने की ओर मोड़कर, तलवे मिलाकर  नमस्ते की मुद्रा बना लें। इसके बाद दोनों हाथों की उंगलियों को क्रॉस करते हुए पैर के पंजे को पकड़े और पैरों को ऊपर-नीचे करें। इस अासन को करते समय आपकी पीठ और बाजू बिल्कुल सीधी होनी चाहिए। इस 15 बार करें।अगर इसको करते वक्त कमर के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो तो इसे बिल्कुल भी न करें|

3.पश्चिमोत्तानासन

यह आसन गर्भाशय से संबंधी शरीर के स्नायुजाल को ठीक करता है।इससे गर्भावस्था के दौरान रीढ़ की हड्डी मजबूत होगी और कमर दर्द भी कम होगा। इससे तनाव कम होगा और मांसपेशियां लचीली बनी रहेगी।
 
-इस अासन को करने के लिए पैर सीधे करके बैठ जाएं और पंजों में थोड़ी दूरी रखें। अब गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को उठाएं और सांसे छोड़ते हुए पंजों को छूने की कोशिश करें। अधिक स्ट्रेस न लें और सांस सामान्य कर लें। दस तक गिनते हुए सीधी अवस्था में आ जाएं। इसे दिन में तीन बार करें।
 
-इस स्थिति में आरामदायक समय तक श्वास-प्रश्वास सामान्य रखते हुए रुकें। इसके बाद सांस को अन्दर खिचते हुए हाथ तथा धड़ को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं तथा सांस बाहर निकालते हुए हाथ नीचे ले आएं। पश्चिमोत्तानासन के अभ्यास के बाद रीढ़ को पीछे झुकाने वाला कोई भी अासन करना चाहिए।

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