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नई दिल्ली : भारत में आज कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। दरअसल आज ही के लिए नववर्ष 1999 में भारत ने द्रास, बटालिक की पहाड़ियों के अलावा कारगिल का सैन्य पोस्ट अपने कब्जे में लेकर पाकिस्तान की आक्रमणकारी सेना और घुसपैठियों को सीमा के पार खदेड़ दिया था। कारगिल विजय के 17 वर्ष पूर्ण होने के दौरान भारत के रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने सैन्य जवानों और सैन्य अधिकारियों की उपस्थिति में अमर जवान ज्योति पर पुष्पचक्र अर्पित किए और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर ट्वीट कर शहीद जवानों को नमन भी किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी करगिल के विजय अभियान को लेकर सेना की शहादत को याद किया। इस दौरान थलसेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग, नौसेना प्रमुख सुनील लांबा और वायुसेना प्रमुख अरूप राहा ने इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस महत्वपूर्ण अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विट करते हुए कहा कि करगिल विजय दिवस पर वीर सैनिकों के आगे वे सिर नवाते हैं। उन्होंने कहा कि अंतिम सांस तक भारत के लिए लड़ाई लड़ने वाले वीर बलिदानी उन्हें प्रेरित कर रहे हैं।

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर व कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने इस मामले में ट्विटर पर जवानों के बलिदान को सलाम किया है। द्रास में बड़े पैमाने पर लोगों ने कैंडल जलाकर जवानों को श्रद्धांजलि दी। सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने उपस्थितों को संबोधित करते हुए कहा कि भसारतीय सेना किसी भी तरह के संकट का सामना करने में सक्षम है। उन्होंने कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद इस तरह की बातें कही। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1999 में भारतीय सेना ने कारगिल में पाकिस्तान के घुसपैठियों को खदेड़कर जमीन से बाहर कर दिया।

आॅपरेशन विजय नामक इस अभियान में 530 भारतीय वीर सपूतों ने अपना बलिदान किया था। इस विजय पर्व की 17 वीं वर्षगांठ पर इंडिया गेट और जंतर -मंतर के अलावा देश के विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित हुए। दरअसल देश की रक्षा में शहीद होने वाले सैनिकों की स्मृति में केंद्रीय आर्य युवक परिषद द्वारा जंतर-मंतर पर शहीद स्मृति यज्ञ का आयोजन होगा।

इतना ही नहीं इंडिया गेट पर एक मार्च का आयोजन होगा। उनका कहना था कि युद्ध में भारतीय थलसेना और वायुसेना ने लाइन आॅफ कंट्रोल पार न करने के आदेश के बाद मातृभूमि में दाखिल हुए पाकिस्तानी सैनिकों व घुसपैठियों को खदेड़ दिया गया। पाकिस्तान के सैनिक अपनी जान बचाकर भागने पर मजबूर हो गए थे।

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