रोग नाशक औजार है कपालभाती प्राणायाम
रोग नाशक औजार है कपालभाती प्राणायाम
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कपालभाती प्राणायाम एक शारीरिक और सांस लेने की प्रक्रिया है जो दिमाग के लिए फायदेमंद है. इससे शरीर के सभी नकारात्मक तत्व निकल जाते है, और शरीर और मन सकारात्मकता से भर जाता है. योगा पूरी दिनचर्या अच्छे से गुजरती है. सिर्फ कपालभाती ही ऐसा प्राणायाम है जो शरीर और मन दोनों को शुद्ध कर सकता है. रोग नाशक औजार के रूप में इसके अदभूत नतीजे है. इसे दूनिया भर में प्रसिद्ध करने के लिए योग गुरुओं ने बहूत परिश्रम किया है.

कपालभाती प्राणायाम सांस से सम्बंधित व्यायाम है, जो कई बीमारियाँ दूर करता है. ‘कपाल’ का मतलब होता है माथा और ‘भाती’ का मतलब होता है प्रकाश। रोज नियमित कपालभाती करने से व्यक्ति के चेहरे पर कांती या चमक आती है. रीढ़ की हड्डी को सीधे रखके पैरो को अपने सामने मोड़ कर बैठे. एक लंबी सांस ले और एकदम से सांस छोडिये. सांस लेने पर नही सांस छोड़ने पर ज्यादा ध्यान दे. आप जब सांस छोड़ते हो तो आपके पेट की अतडियाँ निचे चली जानी चाहिए और सांस लेते समय वे ऊपर आ जानी चाहिये.

इसे एक बार में 10 बार ही करे फिर थोडा आराम करे और इसे ऐसे ही 2 बार और करे. सभी रोगों में कपालभाती नही किया जा सकता है इसलिए किसी तरह की बीमारी हो तो चिकित्सक की सलाह ले कर ही करे जैसे की रीढ़,हर्निया, दिल से संबंधित बीमारी वालों को इस प्राणायाम को नही करना चाहिए. श्वसन प्रणाली और सर्दी व नाक से संबधीत रोगों में भी इसे न करें. जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर व डायबिटीज है, पेट में अलसर है वे इसे ना करे. इसलिए इसे डॉक्टर सलाह अथवा किसी योग गुरु की सलाह से ही करे.

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