नई दिल्ली : भारत माता की जय के जयकारे लगाने के मसले पर एक बार फिर विवाद की स्थिति बन गई है। अब इस मामले में इस्लामिक संगठन आॅर्गनाइजेशन जामिया-निजामिया द्वारा भारत माता की जय बोलने के विरूद्ध फतवा जारी कर दिया गया है। आॅर्गनाइजेशन के अनुसार इस्लाम मुसलमानों को भारत माता की जय बोलने की अनुमति नहीं देता है। इस मामले में संगठन से सवाल किया गया था और कहा गया था कि इंसान ही इंसान को जन्म देती है कोई जमीन का टुकड़ा किसी को जन्म नहीं देता है। इस मामले में फतवा जारी कर कहा गया कि हम इस धरती को भारत माता नहीं कह सकते हैं।
इस मामले में दारूल उलूम इफ्ता और इस्लामिक फतवा सेंटर के मुफ्ती अजीमुद्दीन द्वारा कहा गया कि यदि कोई भारत की धरती को मां कहता है तो यह उसका निजी मामला हो सकता है। फतवा सेंटर के मुफ्ती द्वारा इस मामले में कहा गया कि किसी को जबरन इस तरह का संबोधन करने के लिए नहीं कहा जा सकता है। इस्लाम में भारत माता की जय कहे जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। यह एक धार्मिक तरह की बात है। अन्य मौलवियों ने भी इस बात का समर्थन किया है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भारत माता की जय के जयकारे लगाने की बात कही थी और कहा था कि यह दुर्भाग्य है कि युवाओं को राष्ट्रवाद सिखाना पड़ रहा है। अब तो वह समय आ गया है जब इस पीढ़ी को भारत माता की जय बोलने के लिए कहना पड़ेगा। इसके बाद अपनी एक सभा में सांसद और एमआईएम के प्रमुख ओवैसी ने कहा कि भारतीय संविधान में नहीं लिखा है कि भारत माता की जय बोलना जरूरी है। यदि कोई मेरी गर्दन पर चाकू रखकर भी कहेगा तो भी मैं नहीं कहूंगा भारत माता की जय।