नई दिल्ली : भगत सिंह की देश भक्ति को लेकर एक बार फिर से देश में बहस छिड़ गई है। लेखक बिपिन चंद्रा व अन्य लेखकों का बचाव करने के लिए इतिहासकार इरफान हबीब सामने आए है। हबीब ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक पाठ्यक्रम में शामिल किए गए एक किताब में भगत सिंह को क्रांतिकारी आतंकवादी कहे जाने के मामले में इन लेखकों का समर्थन किया है।
हबीब का कहना है कि भगत सिंह ही स्वंय को आतंकवादी कहते थे। पाठ्यक्रम में शामिल किए गए इस किताब का नाम इंडिया स्ट्रगल फॉर इंडिपेंडेंस है, जिसमें भगत सिंह को क्रांतिकारी आतंकी कहा गया है। हबीबी ने कहा कि भगत सिंह को ऐसा कहना गलत नहीं है।
भगत सिंह जिस हिंदुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट असोसिएशन से संबंध रखते थे, उसने खुद 1929 के अपने एक प्रस्ताव में आतंकवादी शब्द का इस्तेमाल किया है। 1929 के लागौर अधिवेशन के दौरान एचआरएसए द्वारा बांटे गए घोषणापत्र में कहा गया था कि आतंकी नीतियों के कारण ही हमारी आलोचना होती है।
हम भी ब्रिटिश आतंक की प्रक्रिया में आतंक का सहरा ले रहे है। हबीब ने महात्मा गांधी को दिए गए जवाब का भी उल्लेख करते हुए कहा कि सिंह ने अपने जवाब में खुद कहा था कि आतंकवाद खुद में कोई क्रांति नहीं है, लेकिन कोई क्रांति आतंक के बिना अधूरी है। आगे चलकर भगत सिंह ने स्वीकारा था कि शुरुआत के दिनों में वो आतंकी थे।
आज की तारीख में आतंक और आथंकवादी शब्द इसलिए अपमानजनक हो गया है, क्यों कि इससे मासूमों की जानें जा रही है। बता दें कि एचआरडी मिनिस्टरी ने भी कुछ दिनों पहले डीयू को इस मामले में नोटिस भेजकर आतंकवादी शब्द हटाने की अपील की थी।