इन्फ्लुएंजा हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करता है. ठंडे इलाकों में इसके रोगी सर्दियों में ज्यादा होते हैं जबकि गर्म इलाकों में साल भर. इस बीमारी में अमूमन मौत के मामले सबसे ज्यादा नवजात और बुजुर्गों में देखने को मिलते हैं. साथ ही जिन लोगोंको पहले से कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या हैं, उन पर भी इसका बड़ा काफी प्रभाव हो सकता हैं.
ऐसा नहीं है कि इन्फ्लुएंजा का वायरस केवल इंसानों में ही फ़ैल सकता है. मनुष्य के अलावा अन्य जानवरों जैसे पक्षियों, सूअरों, ऊंटों, घोड़ों, कुत्तों और यहां तक कि सीलों और व्हेलों में भी तरह-तरह के इन्फ्लुएन्जाविष्णु मिल जाते हैं. पक्षियों में ये सबसे ज्यादा होते हैं. मनुष्यों में फैलने वाले तमाम इन्फुएन्जा के प्रकार उनमें भी पाए जा चुके हैं. इन्फ्लुएंजा जिस विषाणु से फैलता हैं, उसके एक नहीं कई कारण हैं.
किसी फ्लू ग्रस्त जीव-जंतुओं जिनमें मनुष्य भी आते हैं, के छींकने और खांसने से जो कण हवा में फैलते हैं, उनसे ये विषाणु दूसरे जीव-जंतुओं/मनुष्यों के अंदर साँस के रास्ते प्रवेश कर जाते हैं. इस तरह से ये रोग एक से दूसरे में फैलता जाता हैं. साथ ही खांसी-छींक के चलते विषाणु तमाम बस्तुओं पर चले जाते हैं और जब कोई स्वास्थ्य ब्यक्ति उसे छूता हैं तो उस वस्तु के जीवाणु उसे चिपक जाते हैं और रोग फैलता जाता हैं.