भारतीय होकर भी कहलाते हैं बांग्लादेशी
भारतीय होकर भी कहलाते हैं बांग्लादेशी
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लटूरादिया। असम और बांग्लादेश से सटे अन्य राज्यों में निवास करने वाले नागरिकों के लिए नागरिकता का एक सवाल गहराता रहा है। अभी तक इन क्षत्रों में रहने वाले नागरिकों के साथ बांग्लादेशी यशब्द लगया जाता रहा है मगर अब असम सरकार द्वारा 31 दिसंबर की रात्रि में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण, एनआरसी का पहला मसौदा जारी किया जाएगा। इस तरह का मसौदा जारी होने के बाद वे लोग जो कि 25 मार्च 1971 के पहले की भारतीय नागरिकता से जुड़े शासकीय दस्तावेज जमा करवा चुके हैं वे इसका लाभ ले सकेंगी।

हालांकि अभी तक दस्तावेजों के सत्यापन का कार्य समाप्त नहीं हुआ है ऐसे में इन लोगों को लेकर एनआरसी अपडेशन का लाभ नहीं मिल पाएगा। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में सरकार असम को अवैध बांग्लादेशी नागरिकों से मुक्त करवाने हेतु एनआरसी अपडेट करवा रही है। इसके लिए 24 मार्च 1971 को आधार वर्ष मनाया गया है। गौरतलब है कि असम में गुवाहाटी से लगभग 95 किलोमीटर दूर गोरोइमारी से आगे की ओर ब्रह्मपुत्र के रेतीले क्षेत्र में लटूरादिया गांव में पहुंचने पर एनआरसी ड्राफ्ट को लेकर लोगों में कौतूहल है।

इन लोगों का कहना है कि भारत के नागरिक होने के बाद भी बांग्लादेशी कहलाते हैं ऐसे में सुरक्षा का डर बना रहता है। कुछ महिलाऐं जो कि शादी के बाद यहां आती हैं। उनके दस्तावेज वेरीफाई करने में भी काफी औपचारिकताऐं रहती हैं। इन लोगों को पंचायत प्रमाण पत्र के अलावा कोई और दस्तावेज लिगेसी लिंकेसी के लिए नहीं मिल पाता है।

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